बच्चे की सीखने की प्रक्रिया

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बच्चों को बात-बात पर नहीं टोकें। जब बच्चा रेंगता है या घुटनों के सहारे चलता है तब वह अपने आसपास की वस्तुओं को देखकर तथा छूकर उन्हें समझने की कोशिश करता है। यही बच्चे के सीखने की प्रक्रिया है।

यदि हम उसे बार-बार टोकेंगे कि यह मत करो या इसे मत हाथ लगाओ तो उसकी छानबीन की क्षमता कम होने लगेगी व उसका विकास भी अवरुद्ध होगा।

अतः बच्चे के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक है कि बच्चों के लिए आवश्यक वस्तुओं व चाइल्ड फ्रूफिंग (बच्चों की सुरक्षा) के बीच एक संतुलन स्थापित किया जाए। किसी भी घर को पूर्ण रूप से चाइल्ड फ्रूफिंग बनाना अत्यन्त कठिन कार्य है।
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