मत पढ़ाएँ बच्चों को नफरत का पाठ

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- प्रीति बजाज

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बड़ों की बहस का हिस्सा बनना, पड़ोसी के घर में हो रहे झगड़ों की टोह लेना आदि चीजें बच्चे खुद से नहीं सीखते। जाने-अनजाने हम ही उनके मन में नफरत के बीज बोते हैं। यही बीज पेड़ बनकर एक दिन बच्चों को गलत रास्ते पर ले जाता है। इसलिए संभल जाइए यदि आप नन्हे दिमागों में दूसरों के प्रति नफरत का जहर घोल रहे हों तो।

* अपना घर तो ठीक पड़ोस में भी जहाँ झगड़े की आवाज आती है तो वहाँ बच्चों को खेलने के बहाने से भेजना दूसरों की बातें सुनने के लिए, जासूसी करवाने के लिए भेजना बहुत गलत है।

* जब ऐसी किसी बात को जानने के लिए बच्चों को गलत संस्कार दिए जाते हैं तो यही बात आगे चलकर उनके व्यक्तित्व को गलत बनाती है। उन्हें ऐसी बातों से दूर रखिए। उनको सद्गुणों की शिक्षा दीजिए जिससे कि वे अच्छे इंसान बन सकें न कि शातिर। उनके सामने अच्छे उदाहरण रखें।

* खुद भी दुर्गणों को दूर रखने की कोशिश करें और उन्हें हरसंभव अच्छा माहौल देने की कोशिश करें। उनकी छोटी-सी गलती को भी नजरअंदाज न करें, बल्कि उसे सुधारने का प्रयास प्यार से करें सख्ती से नहीं।

* कई बार देखने में आता है कि पति-पत्नी का आपस में झगड़ा हो जाता है तो वे बच्चों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। बहुत ही खतरनाक स्थिति है यह।

* बच्चों के गुणों में इजाफा कीजिए उनकी जिंदगी में काँटे बोने की जगह।

* आपका किसी से झगड़ा है भी तो बच्चों को यह मत सिखाइए कि फलाँ से बात मत करना, उनकी इज्जत मत करना या उनका काम नहीं करना। आज नहीं तो कल ये जो आपने जहरीले बीज बोए हैं, उसकी फसल आपको ही काटनी पड़ेगी।

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