स्त्रियों के लिए मालिश के नियम

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जिस तरह नन्हे शिशु के लिए मालिश जरूरी होती है। उसी प्रकार गर्भधारण के पश्चात स्त्रियाँ के लिए भी मालिश कराया जाना बहुत जरूरी है। इससे स्त्री का बदन सुगठित होता है। हम आपको बताते हैं स्त्रियों की मालिश संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बाते :

* मासिक ऋतु स्राव एवं गर्भावस्था में पेट एवं गर्भाशय के भाग को छोड़कर एवं अन्य समय में पूरे शरीर की मालिश की जानी चाहिए।

* स्त्रियों को अपनी मालिश स्वयं न करके कुशल दाई या घर की अन्य महिला से करवाना चाहिए। स्त्रियाँ खुले स्थान में मालिश नहीं कर सकतीं, फिर भी बन्द कमरे में हवा और प्रकाश का होना जरूरी है।

* प्रसव के बाद कुशल दाई या अन्य अनुभवी स्त्री से डेढ़-दो माह तक प्रसूता की मालिश अवश्य कराई जानी चाहिए, ताकि प्रसूता के शरीर की शिथिलता और कमजोरी दूर हो सके। गर्भ के फैलाव और दबाव के कारण पेट, कमर और कूल्हे की त्वचा, ढीली पड़ जाती है जो मालिश से पुनः चुस्त और सुगठित हो जाती है। देह भी चुस्त-दुरुस्त, सुगठित और सशक्त होती है तथा त्वचा कान्तिपूर्ण होती है।

* जिन स्त्रियों को अपनी देहयष्टि और सुगठित रखने की इच्छा हो, उन्हें तो नियमित रूप से मालिश करवाना ही चाहिए। यह उनके लिए हलका व्यायाम भी है और शरीर को पुष्ट, ठोस और सन्तुलित रखने का अचूक उपाय भी।

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