अक्सर एंडोमेट्रिओसिस से पीड़ित महिलाओं को ये चिंता सताती है कि क्या वे कभी मां नहीं बन पाएगी। यदि उन्हें आईवीएफ ट्रीटमेंट के बारे में पता हो तो फिर घबराने की बात नहीं है। आइए, जानते हैं 'आईवीएफ तकनीक' से आप किस प्रकार से मां बन सकती हैं।
IVF यानी 'इन विट्रो फर्टिलाइजेशन', आईवीएफ तकनीक निषेचन के लिए पुरुष के शुक्राणुओं और महिला के अंडे का फ्यूज़न करती है।
इस ट्रीटमेंट में महिला को अधिक अंडों के उत्पादन के लिए फर्टिलिटी दवाइयां दी जाती हैं। फिर सर्जरी के माध्यम से अंडों को निकालकर प्रयोगशाला में कल्चर डिश में तैयार स्पर्म के साथ मिलाकर निषेचन के लिए रखा जाता है।
इससे जो भ्रूण विकसित होता है उसे महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ये सफल हुआ या नहीं इसका पता अगले 14 दिनों में प्रेग्नेंसी टेस्ट के बाद लगता है।
2011 में हुए एक सर्वे के अनुसार एंडोमेट्रिओसिस बीमारी से दुनिया भर कि लगभग 176 मिलियन यानी कि 17.6 करोड़ महिलाएं और लड़कियां प्रभावित हैं। रिपोर्ट के अनुसार ये बीमारी अनुमानित 10% महिलाओं को प्रजनन-उम्र में प्रभावित करती है।