कैसे करें बढ़ते बच्चों की परवरिश

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बच्चों को बनाएं होशियार भी और शालीन भी...

बच्चे वह नहीं सीखते जो आप कहते हैं, वे वही सीखते हैं जो आप करते हैं


अधिकतर पेरेंट्स के लिए परवरिश का अर्थ केवल अपने बच्चों की खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और र ो जमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है। इस तरह से वे अपने दायित्व से तो मुक्त हो जाते हैं लेकिन क्या वे अपने बच्चों को अच्छी आदतें और संस्कार दे पाते हैं जिनसे वे आत्मनिर्भर और ज िम्मेदार बन सकें। अक्सर पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि हम अपने बच्चों की परवरिश किस तरह से करें तो हम आपको बताते हैं कुछ तरीके जो आपकी मदद करेंगे-

 
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1. उन्हें शुरू से ही अनुशासन में रहना सिखाएं
बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब ही से उसे नियम में रहने की आदत डालें। 'अभी छोटा है बाद में सीख जाएगा' यह रवैया खराब है। उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हे मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है। वे अभी छोटे हैं, आपका यह तरीका उन्हें ज िद्दी और विद्रोही बना सकता है।

2. उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताएं

वर्किंग पेरेंट्स के साथ यह समस्या होती है कि उनके पास अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए समय नहीं मिल पाता। ऐसे माता-पिता अपने वीकएंड्स अपने बच्चों के लिए रखें। और स ाम ान्य दिनों में भी उनके क्रियाकलापों पर ध्यान दें कि वे क्या करते हैं, उनके दोस्त कौन हैं आदि।

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3. उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें

अब व ह समय नहीं रहा जब माता-पिता ने जो कह दिया वही सही है। अब समय बदल गया है,बच्चे मुखर हो गए हैं। उनका अपना नज़रिया है। माता-पिता को यह करना है कि बच्चों के साथ बॉस या हिटलर की तरह नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहें। आपका यह तरीका बच्चों को आपके करीब लाएगा। वे आपसे खुलकर बात कर पाएगें।

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4. आत्मनिर्भर बनाएं

बचपन से ही उन्हें अपने छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें। जैसे उन्हें डांस क्लास जाना है या जि म। फिर जब वे बड़ॆ होंगे तो उन्हें सब्जेक्ट लेने में आसानी होगी। आपके इस तरीके से बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा और वे भविष्य में चुनौतियों का सामना डट कर, कर पाएंगे।

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5. जिद्दी ना बनने दें

जो पेरेंट्स बच्चों की हर मांग को पूरा करते हैं उनके बच्चे ज िद्दी हो जाते हैं। यदि बच्चे बेवजह ज िद करते हैं जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता तो उन्हें प्यार से समझाएं कि उनकी मांग जा य ज नहीं है।

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6. गलत बातों पर टोकें

बढ़ती उम्र के साथ-साथ बच्चों की बदमाशियां भी बढ़ जाती है। जैसे - मारपीट करना, गाली देना, बड़ों की बात ना मानना आदि। ऐसी गलतियों पर बचपन से ही रोक लगा देना चाहिए ताकि बाद में ना पछताना पड़े।

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7. अपनी अपेक्षाएं ना थोपें

कुछ अतिम हत्व ाका ंक्ष ी पेरेंट्स अपनी अपेक्षाओं को बच्चों पर थोपने लगते हैं। जिससे बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं और उनका स्वाभविक विकास नहीं हो पाता है। माता-पिता ऐसा ना करें क्योंकि बच्चा अपने साथ अपनी खूबियां लेकर आया है। उसे स्वाभाविक रूप से बढ़ने दें।

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8. बच्चों के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें

बच्चे न ाज ुक मन के होते हैं। उनके सामने बड़े जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही वे सीखेंगे। सबसे पहले खुद अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें। सोच-समझकर शब्दों का चयन करें। आपस में एक दूसरे से 'आप' कहकर बात करें। धीरे-धीरे यह चीज़ बच्चे की बोलचाल में आ जाएगी।


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