अशोक चक्रधर जी की मॉस्को यात्रा पर हमने अभी कुछ शुरुआती अंश ही प्रकाशित किए हैं, लेकिन उन पर प्रतिक्रिया इतनी जबर्दस्त रही है कि हमें अशोक जी से जल्द ही अगली कड़ी भेजने का अनुरोध करना पड़ा। लीजिए, इस बार आगे का किस्सा पढ़िए । -वर्तिका नंद ा
30 जून 1987 / शाम / मॉस्को
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