मैं बेकल तो अम्मा बेकल

कविता

Webdunia
सहबा जाफ़री
ND
धूप घनी तो अम्मा बादल
छाँव ढली तो अम्मा पीपल
गीली आँखें, अम्मा आँचल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

रात की आँखें अम्मा काजल
बीतते दिन का अम्मा पल-पल
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

बात कड़ी है, अम्मा कोयल
कठिन घड़ी है अम्मा हलचल
चोट है छोटी, अम्मा पागल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

धूल का बिस्तर, अम्मा मखमल
धूप की रोटी, अम्मा छागल
ठिठुरी रातें, अम्मा कंबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

चाँद कटोरी, अम्मा चावल
खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
जीवन निष्ठुर अम्मा संबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

होली विशेष भांग की ठंडाई कैसे बनाएं, अभी नोट कर लें यह रेसिपी

महिलाओं के लिए टॉनिक से कम नहीं है हनुमान फल, जानिए इसके सेवन के लाभ

चुकंदर वाली छाछ पीने से सेहत को मिलते हैं ये अद्भुत फायदे, जानिए कैसे बनती है ये स्वादिष्ट छाछ

मुलेठी चबाने से शरीर को मिलते हैं ये 3 गजब के फायदे, जानकर रह जाएंगे दंग

वास्‍तु के संग, रंगों की भूमिका हमारे जीवन में

सभी देखें

नवीनतम

विचार बीज है और प्रचार बीजों का अप्राकृतिक विस्तार!

यूक्रेन बन रहा है यूरोप के लिए एक निर्णायक परीक्षा का समय

क्या है होली और भगोरिया उत्सव से ताड़ी का कनेक्शन? क्या सच में ताड़ी पीने से होता है नशा?

पुण्यतिथि विशेष: सावित्रीबाई फुले कौन थीं, जानें उनका योगदान

Womens Day: पुरुषों की आत्‍महत्‍याओं के बीच महिलाएं हर वक्‍त अपनी आजादी की बात नहीं कर सकतीं