dipawali

आंचल में समेटती है मां

-दीपाली पाटील

Webdunia
ND

भोर के सूरज की उजास लिए

जीवनभर रोशनी-सी बिखेरती है मां,

दुःख के कंकर बीनती रहती

सुख थाली में परोसती है मां,

स्नेह की बौछारों से सींचकर

सहेजती है जीवन का अंकुर

रामरक्षा के श्लोकों की शक्ति

आंचल में समेटती है मां,

अपनी आंख के तारों के लिए

स्वप्न बुनती जागती उसकी आंखे

स्वयं के लिए कोई प्राथना नहीं करती मां,

निष्काम भक्ति है या कोई तपस्या

बस घर की धूरी पर अनवरत घुमती है मां,

उसकी चूडियों की खनखनाहट में

गूंजता जीवन का अद्भुत संगीत।

उसकी लोरी में है गुंथे

वेद ऋचाओं के गीत

आंगन में उसके विश्व समाया

अमृत से भी मधुर होता है

मां के हाथ का हर निवाला

जीवन अर्पण कर देती है बिना मूल्य के

सांझ दीये-सी जलती रहती है मां,

उसके ऋणों से कैसी मुक्ति,

खुली किताब पर अनजानी-सी

शब्दों में कहां समाती है मां।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Diwali 2025: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे? पर्यावरण की दृष्टि से समझिए कैसे सामान्य पटाखों से हैं अलग

Diwali 2025: धनतेरस से लेकर दिवाली तक, जानें हर दिन के लिए 5 खास वास्तु टिप्स

Diwali vastu tips: दिवाली पर अपनाएं ये 11 वास्तु टिप्स, घर में आएगी सुख-शांति और समृद्धि

Diwali 2025: दिवाली की रात क्या नहीं करना चाहिए और क्या करें, पढ़ें 18 काम की बातें

Diwali Sweets: घर पर बनाएं ये खास पारंपरिक दीपावली मिठाई, पढ़ें आसान रेसिपी

सभी देखें

नवीनतम

Vastu tips for Diwali: दिवाली पर भूलकर भी न करें ये 10 वास्तु गलतियां, वरना रुक सकती है तरक्की

गुम होते गजराज : भारत में भगवान गणेश के प्रतीक हाथियों पर गहराता संकट

व्यंग्य : मैंने भी 70 युद्ध तो पक्के रोके

Diwali 2025: कैसे हुई दिवाली बोनस की शुरुआत, जानिए परंपरा से कानूनी अधिकार तक पूरी कहानी

Diwali Lakshmi Puja: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए खास प्रसाद: क्या बनाएं और क्यों?