मदर्स डे स्पेशल : मातृत्व की मार्मिक यादों के बीच मेरी मां

गरिमा संजय दुबे
डॉ. गरिमा संजय दुबे 

कहते है एक शिशु के जन्म के साथ केवल एक बालक ही जन्म नहीं लेता है बल्कि उसी क्षण स्त्री के भीतर माँ भी जन्म लेती है। यूं तो स्त्री का सर्वथा पूजनीय रूप मां ही है किन्तु मां का महत्व मां बनने के बाद ही सही सही समझा जा सकता है। केवल एक स्त्री को यह विशेष अधिकार वरदान के रूप में प्राप्त है कि वह मां बनने की इस दैविक प्रक्रिया को महसूस कर सके उसके ब्रह्मानंद को आत्मसात कर सके।

मां से लगाव व प्रेम की तो कोई सीमा ही नहीं है किन्तु मैंने भी मां होने का गूढ़ अर्थ मां बनने के बाद ही जाना। मेरी मां, चार भाइयों की इकलौती बहन है, दुर्भाग्यवश वे जब मात्र एक बरस की थी तब उनकी माताजी यानी मेरी नानीजी का स्वर्गवास हो गया। घर में दादीजी थीं किन्तु पां चों भाई बहन अलग-अलग घर में पले, मां सबसे छोटी और अबोध थी सो मां की मौसीजी सीता मौसी उन्हें अपने साथ रखने लगी।

ALSO READ: मां, खोकर तुमको जाना कि अनमोल थीं तुम
 
सीता मौसी ने अपने स्नेह की छांव से कभी मां को नानीजी की कमी महसूस नहीं होने दी। मामाजी, बाबूजी, और मौसीजी यह तीन घर उनके अपने थे। मातृत्व के अभाव में पली मां का विवाह हुआ और फिर हम दोनों भाई बहनों का जन्म। जिन बच्चों को मां का प्रेम नहीं मिलता है उनमे एक अलग तरह की अति भावुकता पाई जाती है यही भावुकता मैंने अपनी मां में भी देखी है। यूं तो नारी स्वभाव से ही भावुक होती है तिस पर मां का भावनात्मक संबल न हो तो वह व्यक्तित्व में एक अजीब सी बैचेनी और डर पैदा कर देता है। आज जब मै एक मां हूं तब मुझे अपने बच्चे के जन्म से ही उसकी हर बात, उसकी मुझ पर निर्भरता, मेरी मां का मातृविहीन जीवन याद दिला देती है। मेरे बेटे की जिद, उसकी मनुहार, उसका इंतज़ार, उसका मुझसे लिपट कर सोना, अपनी मनपसंद खाने की चीज़ों की ज़िद करना, मुझे बरबस रुला देता है कि मम्मी क्या कभी इतने अधिकार से ज़िद कर पाई होंगी?
 
ALSO READ: आलोक श्रीवास्तव की रचना : कोने-कोने छाई अम्मा...
 
क्या अपने मन की बात सहजता से कह पाती होगी? क्या अपनी तकलीफ अपनी भावना को अभिव्यक्ति दे पाई होंगी या मां न होने पर एक भटके हुए बच्चे की भांति सहमी सी जो मिल गया उसे अपना भाग्य समझ सिर झुका कर स्वीकार कर लिया होगा? तीन तीन घर होते हुए भी क्या चित्त बैचैन नहीं होता होगा अपने संपूर्ण अधिकार वाले उस घर के लिए जहां मां की उपस्थिति ही सबसे बड़ा अधिकार हुआ करती हो। हालांकि मां के जीवन में कोई कटु अनुभव कभी नहीं हुए और सारे रिश्तेदार मौसी, बाबूजी,दादीजी,मामाजी बहुत ही स्नेहिल रहे हैं और आज भी हैं लेकिन मैं पता नहीं क्यों उनके इस पक्ष को लेकर अतिसंवेदनशील हो जाती हूं। पिछले दिनों एक पारिवारिक समारोह में मां के पुश्तैनी गांव जाने का मौका मिला, वहां उस जगह उस मंदिर में भी गई जहां नानीजी रहती थी और ईश्वर की सेवा करती थी। पंडित ,परसाई परिवार था मां का, मंदिर की ही देहरी पर मां को स्तनपान करवाते करवाते नानीजी स्वर्ग सिधार गईं और मेरी मां अबोध एक वर्ष की बालिका स्तनपान करती रही, थोड़ी देर में जब कोई मंदिर आया था तब उसने नानी जी और मां को संभाला और गांव वालों और रिश्तेदारों को खबर दी। उस दिन उस घर मंदिर को देख एक शिकायत हुई थी भगवान से एक हुक सी उठी थी कहीं कि कैसे देखा उसने एक अबोध बच्ची का वह दुःख, कैसे निकल सकते है किसी मां के प्राण अपने बच्चे का पेट अधूरा भरे और कैसे कर सका वह यह अन्याय, शायद कोई घोर प्रारब्ध था जो भोगना ही था। 
 
ALSO READ: नन्ही कलम से : मां, तू सबसे ज्यादा भाती है
 
मां  भी उस दिन साथ थी प्रफुल्लित थी, अपना गांव देख,  पर मैं  दावे से कह सकती हूं कि मंदिर की उस देहरी को देख एक पीड़ा का गुबार तो वहां भी उठा होगा, मन दुखा तो होगा उस मां  के लिए जिसे उन्होंने देखा तो था पर सूरत याद नहीं थी, तो क्या, जो सूरत याद नहीं थी पहचानी तो जाती हैं उन्ही की बेटी के रूप में न,  क्या किसी अदृश्य चेतना ने उस दिन उन्हें अपना आशीर्वाद नहीं दिया होगा?  रह जाती है चेतना हर कहीं और छु ही लेती है अपने अभीष्ट को, वैसे ही नानीजी ने छु लिया होगा मां को ,जैसे मुझे छु लिया था अपना अंश जान, अवश्य ही मां ने उस मंदिर के भगवान् को देख , उस देहरी को देख ,जहां प्राण निकले थे नानीजी के, कहा होगा 
(जान बूझ कर बदल रहीं हूं )
"तुझे नहीं देखा मैंने कभी , यह पीड़ा कभी कम न होगी
ऐ भगवान तेरी सूरत से अलग मां की सूरत क्या होगी।"

ALSO READ: भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकता इसीलिए उसने मां बना दी
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि में कम करना चाहते हैं वजन, तो भूलकर भी ना खाएं ये 6 चीजें

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

डायबिटीज-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले ये 7 सुपर फूड, सेहत को मिलते हैं अनगिनत फायदे

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

सभी देखें

नवीनतम

सीधे किडनी पर वार करता है क्रिएटिनिन, जानिए बॉडी में क्रिएटिनिन बढ़ने से क्या होता है?

चैत्र नवरात्रि में कौन सा रंग पहनें? जानें 9 दिन के 9 रंगों का शुभ महत्व

क्यों नहीं खाने चाहिए तुलसी के पत्ते चबाकर, जानिए क्या कहता है विज्ञान

रमजान के आखिरी जुमा मुबारक के साथ अपनों को दें ये खास संदेश

रोजाना एक कटोरी दही खाने के सेहत को मिलते हैं ये फायदे

अगला लेख