निहारिका सिंह की कविता : मां, मैं अब तुम्हारे सी दिखने लगी हूं

Webdunia
मां, अच्छा लगता है
ये सुनकर कि मैं अब तुम्हारे सी दिखने लगी हूं।
पहले लगा क्या खुद को खो दिया है?



फिर जाना
मैं तुमसे अलग थी ही कहां।
तुम पृथ्‍वी सी मेरा ग्रह
मैं चंद्रमा सी तुम्हारा उपग्रह,
दूर रहकर भी तुम्हारे इर्द-गिर्द
तुम्हारी ही सीखों की राह पर
प्रदक्षिणा करती, निश्चित गति से।
 
मां, तुम जिस सूर्य को अर्घ्य देती हो
वही सुबह मेरा दरवाजा खटकाता है,
तुम जिस पूनम के चांद को पूए चढ़ाती हो
वही मेरी खीर में अमृत बरसाता है 
 
 
तुम्हारी तुलसी चौरे के अंकुर
मेरे आंगन में उग आए हैं,
तुम्हारी तरह बातें भूल जाने के गुण
मुझमें भी उभर आए हैं 
तुम्हारी तरह दाल का छौंक लगाने
और सौंधी रोटियां सेंकने का अभ्यास करते
मां मैं तुम्हारी सी दिखने लगी हूं। 
Show comments

इस चाइनीज सब्जी के आगे पालक भी है फैल! जानें सेहत से जुड़े 5 गजब के फायदे

आइसक्रीम खाने के बाद भूलकर भी न खाएं ये 4 चीज़ें, सेहत को हो सकता है नुकसान

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

लू लगने से आ सकता है हार्ट अटैक, जानें दिल की सेहत का कैसे रखें खयाल

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

AC का मजा बन जाएगी सजा! ये टेंपरेचर दिमाग और आंखों को कर देगा डैमेज, डॉक्टरों की ये सलाह मान लीजिए

गर्मी में फलों की कूल-कूल ठंडाई बनाने के 7 सरल टिप्स

घर में नहीं घुसेगा एक भी मच्छर, पोंछे के पानी में मिला लें 5 में से कोई एक चीज

क्या कभी खाया है केले का रायता? जानें विधि

जीने की नई राह दिखाएंगे रवींद्रनाथ टैगोर के 15 अनमोल कथन

अगला लेख