ज्योति जैन
प्यारी बिटिया,
खूब प्यार,
मातृत्व की आहट को एक मां भली प्रकार सुन लेती है। मैंने भी सुना..... तुम भी मातृत्व को जीने जा रही हो... आह.....! इससे सुखद स्वर तो कोई हो ही नहीं सकता।
मां बनने की आहट ज़िन्दगी में कई बदलाव लाती है बेटा..... सिर्फ शारीरिक ही नहीं..... और भी कई.....। जब अपने परिजनों को ये शुभ सूचना मिलती है तो निश्चय ही उनकी खुशी का पारावार नहीं रहता और उनकी फिक्र तुम्हारे लिये कई गुना बढ़ जाती है। बस.....! इसी फिक्र और पाबंदी के बिल्कुल महीन से फर्क को महसूस कर लेना, तो तुम बिल्कुल परेशान नहीं होगी।
खाने-पीने का ध्यान, ड्रायविंग, ट्रेवलिंग, देर रात बाहर रहने जैसी हिदायतों के पीछे के भावों को समझकर आत्मसात करना..... उनसे चिढ़ उत्पन्न न होने देना।
अपने विवाहोपरांत तुम ही उस नये परिवार का केन्द्र बिन्दु थी, पर अब यह केन्द्र बिन्दु आने वाला शिशु हो गया है। तुम्हे इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि इस वजह से तुम पर कुछ बंदिशें भी होंगी, तो उस वजह से खीज या तनाव उत्पन्न नहीं होने देना।
तुम्हारी भूमिका भी बदलने वाली है..... और ये वो भूमिका है जो दुनिया की हर स्त्री चाहेगी।
बस.....! ये समय थोड़े धैर्य का होता है..... और मैं जानती हूँ कि तुममें इतना धैर्य है।
चिकित्सक का चयन हो या अन्य मुद्दे..... मां सम सास का स्वर मां समान ही रहता है, उस स्वर के सुर को समझना..... वो जीवन की मीठी तान से कम न होगा।
इस जीवन राग को तुम और तब जान लोगी, जब अपना अंश तुम्हारी फैली हथेलियों पर होगा। ये ज़िन्दगी के सबसे खुबसूरत राग की अनुभूति होगी। तो बस..... इस अनुभूति को अपने आँचल में समेट इन खुबसूरत दिनों को जियो और भरपूर जियो.....।
खुशियों के रिश्तों की एक नई इबारत लिखने जा रही हो..... एक नई परिभाषा गढ़ने जा रही हो..... ये खुशियाँ कायम रहे.....
यही आशीर्वाद.....
तुम्हारी मां