मां, खोकर तुमको जाना कि अनमोल थीं तुम

पुष्पा परजिया
हर साल मई माह के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स डे यानि मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस सुअवसर पर हम मां के लिए जितना लिखे जितना कहें उतना कम है। मां जो सिर्फ अपने सन्तानों के लिए ही नहीं जीती, उसके लिए सिर्फ त्याग ही नहीं करती बल्कि उसकी एक बात को अक्सर हम ध्यान नहीं देते हैं की यदि मां की हस्ती  न होती तो ये दुनिया ही न होती। मां है तो ये दुनिया ये जग है जरा सोचिये यदि मां न होती तो इस सृष्टि का चलना मुमकिन होता? कभी नहीं  एक मां एक शिशु को जन्म देती है उसे अपनी स्नेह सरिता में भिगोकर पालन-पोषण कर बड़ा करती है  अपने बच्चे को वह हरेक सुख देकर उसके दुःख को दूर रखती है। यदि बच्चा बीमार हुआ तो मां न रात देखती है न दिन देखती है न अपनी भूख  देखती  है वह पूर्णरूपेण अपनी संतान की ख़ुशी में संतान के लिए खुद को न्योछावर कर देती है।  
 
आज की सन्तानों को कोई ज्ञान देने की आवश्यकता नहीं की वो मां के लिए यह करें वह करें उसका दिल न दुखाय उसे खुश रखें क्योंकि  आजकल बहुत बड़े-बड़े आख्यान पढ़ने को मिलते हैं।  अब तो विज्ञान की उन्नति ने हमें अपने हाथों में सारी दुनिया नेट के माध्यम से दे दी है तो  अब छोटे से छोटा त्योहार बड़ा बन जाता है पर सिर्फ  फोन के व्हॉट्सप में और फेसबुक के पेज  पर ,क्यूंकि आवश्यकताएं लोगों की इतनी बढ़ गई है की व्हॉट्सप  और फेसबुक तक सीमित रह गई है हर चीज़ें  क्यूंकि जो बेटा मां  के लिए व्हॉ ट्सप पर मां की  महानता के गुणगान के सन्देश और  चित्र अपने मित्रों को भेज रहा होता है वही बेटा उसी समय मां के  बुलाने पर भी सोफे से या बिस्तर से उठकर अपनी मां को एक ग्लास पानी तक नहीं दे सकता। 
 
ALSO READ: मदर्स डे : बिन मां के...न मायका, न जायका
 
अच्छी बात है कि मां के सम्मान के लिए ऐसे  त्योहार हमारे समाज में बने हैं  किन्तु मेरा आप सबसे एक सवाल है क्या सच में एक दिन का ही स्नेह और बड़ी-बड़ी बातें? हैप्पी मदर्स डे की बधाइयां  देकर हम मां  का क़र्ज़ उतार  सकते हैं? अच्छी अच्छी कविताएं  जब-जब पढ़ती हूं तब-तब बहुत अच्छा लगता है पर काश हम आजीवन अपने मां-बाप के लिए समय निकाल सकते। उनका सम्मान, उनका ख्याल रखकर कर सकते, उनकी छोटी-छोटी  इच्छाओं को पूरा कर उन्हें जीवन की अगाध ख़ुशी दे सकते। मेरे ख्याल से मां जितनी महान हस्ती है तो उनके सुख और ख़ुशी का ख्याल भी उतना ही विस्तृत होना चाहिए न ? 
 
हम संतान उन्हें क्या गिफ्ट देंगे उन्हें क्यूंकि उनका दिया अनमोल गिफ्ट जो हमें मानव बनाकर उन्होंने दिया है उसके बदले में तो भगवन भी उसे कुछ नहीं दे सकते। 

ALSO READ: आलोक श्रीवास्तव की रचना : कोने-कोने छाई अम्मा...
 
मदर्स डे जरूर मनाएं पर सिर्फ एक दिन की खुशियां न देकर आजीवन मां के साथ ही पिताजी को खुशियां दें। आपका भगवन भी आपसे खुश होगा  क्यूंकि मां की ममता पाने के लिए ईश्वर को भी  बालक बनना पड़ा था। राम और कृष्णा के जन्म से पहले अपने असल स्वरुप में मां ने उन्हें कहा कि  छोटे से बालक बन जाव तब तब  भगवन ने भी मां का कहा माना और बालक बन रुदन किया तब जाकर सबको लगा कि मां जशोदा के लालो भयो और जब राम जी का जनम हुआ तब भी भगवन को  अपना दिव्य स्वरुप त्यागकर बालक बनना पड़ा था। ममता की प्यास ईश्वर में भी थी तो हम तो साधारण मानव हैं। 
 
अंत में मां के चरणों में वंदन करते हुए कहूंगी
 
खोकर  तुमको जाना कि  अनमोल थीं  तुम 
 तरसेंगी नज़रें  एक नज़र  देखने को तुमको 
 
तुमने तो दे दिया अपने हिस्से का प्यार हमें जी भरकर  
पर हम  तो न  दे सके पलभर की  खुशियां तुमको 
 
स्वार्थ  से परे  अब  भी नहीं  हम तो 
मांगते  हैं आपका आशीर्वाद आज भी हम तो  
 
लिया ही तुमसे न दिया गया कुछ भी हमसे 
माफ़ करना गलतियां बालक जानकर अब तो 
 
करते हैं वंदन करते हैं वंदन
 किसे कहें आपकी जुदाई से मिला क्रंदन हमको 

ALSO READ: मां पर कविता : खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख