मातृ दिवस : मां पर हिन्दी कविता

शम्भू नाथ
लाल पे दुख आने न देती 
खोती नहीं है क्षमता मन की 
सबसे बड़ी है ममता मां की 
 
खुद भूखे सो जाती मां है 
बच्चे का पेट तो भरती है 
पालन पोषण देख-रेख सब 
सच्चे मन से करती है
बच्चों को सब खुशियां देती 
सुध न रखती अपने तन की 
सबसे बड़ी है ममता मां की
 
संस्कार का पाठ पढ़ाती 
सही नियम की रीति बताती  
कष्ट कोई आने न देती 
सीने से मां ही चिपकाती 
 
क्षमाशील मां इतनी होती है 
फिकर है करती पल-पल की 
सबसे बड़ी है ममता मां की 
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