मां पर नहीं लिख सकता कविता !

Webdunia
चंद्रकांत देवताले
 
मां पर नहीं लिख सकता कविता
मां के लिए संभव नहीं होगी मुझसे कविता
अमर चिऊंटियों का एक दस्ता
मेरे मस्तिष्क में रेंगता रहता है
मां वहां हर रोज चुटकी-दो-चुटकी आटा डाल देती है
मैं जब भी सोचना शुरू करता हूं यह किस तरह होता होगा
घट्टी पीसने की आवाज मुझे घेरने लगती है
और मैं बैठे-बैठे दूसरी दुनिया में ऊंघने लगता हूं .. .  
जब कोई भी मां छिलके उतार कर
चने, मूंगफली या मटर के दाने नन्ही हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर थरथराने लगते हैं
मां ने हर चीज के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा, आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया 
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चंद्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूंगा  पर...
मां पर नहीं लिख सकता कविता! 

ALSO READ: बालकवि बैरागी की कविता : जब भी बोलता हूं 'मां'

ALSO READ: मातृ दिवस पर मार्मिक कविता : मै चाहती हूं मेरी बच्ची
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या स्ट्रेस और घबराहट को कम करने में असरदार है डार्क चॉकलेट?

कहीं बच्चे के रोने का कारण पेट में ऐंठन तो नहीं? राहत पाने के लिए अपनाएं ये असरदार टिप्स

स्वेटर और जैकेट के साथ ऐसे करें ज्वेलरी स्टाइल, प्रोफेशनल और पार्टी लुक को मिनटों में बनाएं खास

प्रीति जिंटा ने वीडियो पोस्ट कर बताया अपनी फिटनेस का राज, आप भी जानें

बेहतर नींद के लिए पीजिए ये चाय, जानिए पीने का सही समय और फायदे

सभी देखें

नवीनतम

कटे फल नहीं पड़ेंगे काले, इन हेक्स की मदद से ट्रेवल या टिफिन में लम्बे समय तक फ्रूट्स को रखें फ्रेश

सर्दियों में इन 4 अंगों पर लगाएं घी, सेहत को मिलेंगे गजब के फायदे

सर्दियों में पानी में उबालकर पिएं ये एक चीज, सेहत के लिए है वरदान

विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024 : इन टिप्स से बनाएं अपने घर को एनर्जी सेविंग जोन

सर्दियों में बहुत गुणकारी है इन हरे पत्तों की चटनी, सेहत को मिलेंगे बेजोड़ फायदे

अगला लेख