मां पर कविता : खीर-सी मीठी अम्मा हर पल

सेहबा जाफ़री
सहबा जाफरी 
 धूप घनी तो अम्मा बादल 
छांव ढली तो अम्मा पीपल 
गीली आंखें, अम्मा आंचल 
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 
 
रात की आंखें अम्मा काजल 
बीतते दिन का अम्मा पल-पल 
जीवन जख्मी, अम्मा संदल 
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 
 
बात कड़ी है, अम्मा कोयल 
कठिन घड़ी है अम्मा हलचल 
चोट है छोटी, अम्मा पागल 
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 
 
धूल का बिस्तर, अम्मा मखमल 
धूप की रोटी, अम्मा छागल 
ठिठुरी रातें, अम्मा कंबल 
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 
 
चांद कटोरी, अम्मा चावल 
खीर-सी मीठी अम्मा हर पल 
जीवन निष्ठुर अम्मा संबल 
मैं बेकल तो अम्मा बेकल। 

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