मदर्स डे पर कविता : वह एक मां है...

जयति जैन 'नूतन'
उलझे हुए से फिरते हैं
नादिम सा एहसास लिए
दस्तबस्ता शहर में
वो नूर है
अंधेरे गुलिस्तां में।
 
डरावने ख़ौफ़ के साये
हर शख्स बेगाने से
शहर भर के हंगामों में
वो कायनात है
उजड़े गुलिस्तां में।
 
हाथ की लकीरें मिटतीं
जख्मों के निशानों से
दर्द-ए-दवा सी वो
ठंडे फव्वारे सी।
 
खुदा भी झुके जिसके आगे
एक नुकरई खनक सी
फनकार है वो
जादूगरनी सी।
 
आंखें भर-भर आएं
जब लब कंपकंपाएं 
शबनम की बूंद वो
जन्नत की बारिश-सी। वह एक मां है...
 
(नादिम- लज़्ज़ित, दस्तबस्ता- बंधे हुए हाथ, नूर- ज्योति, कायनात- जन्नत, गुलिस्तां- गुलशन, नुकरई- चांदी जैसी)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख