एक व्यक्ति ने अपने सिद्ध गुरु से पूछा कि गुरुजी आपसे कोई पाप नहीं होता, आपको क्रोध नहीं आता और आप सदा प्रेमपूर्ण और शांत चित्त बने रहते हैं तो इसका राज क्या है? उसके सिद्ध गुरु ने एकदम से व्यवहार बदलते हुए कहा, यह बात तो छोड़ों मैं तुम्हें एक दु:खद सूचना देना चाहता हूं। उसने कहा, क्या गुरुजी। गुरुजी ने कहा कि आज से ठीक तीसरे दिन शाम को तुम्हारी मौत हो जाएगी। यह सुनकर तो उसके पैरों के नीचे से जमीन हिल गई। वह रोने लगा। गुरुजी ने कहा कि अब तुम देख लो तुम्हें क्या करना है।
वह व्यक्ति वहां से चला गया और फिर उसने जिस-जिस का भी दिल दुखाया था उन सभी से माफी मांगी। अपने माता-पिता, भाई-बहन और बेटा-बेटी-पत्नी सभी से प्यार करने लगा। पहले दिन तो उसका यही कार्य चलता रहा, माफी मांगना और लोगों से प्यार से पेश आना। दूसरे दिन उसने गरीब लोगों को खाना बांटा और अपने रिश्तेदारों को बुलाकर उन्हें कई उपहार देकर उन्हें भी तृप्त किया। तीसरे दिन वह शांति से घर पर रहा और ध्यान एवं भजन करता रहा। अब वह खुश था कि चलो मैंने लोगों के लिए तो कुछ किया। अपनी गलतियों को सुधार लिया।
तीसरे दिन शाम को उसके गुरुजी आए और उससे पूछने लगे कि बताओ इन तीन दिनों में तुमने कोई गलत कार्य तो नहीं किया, कोई पाप तो नहीं किया, किसी का दिल तो नहीं दुखाया?
वह कहने लगा- गुरुजी आप कैसी बातें करते हैं, मौत सिर पर खड़ी है तो ऐसे में मैं भला क्या किसी के साथ गलत व्यवहार करूंगा? नहीं गुरुजी! आज तीसरे दिन में बहुत शांत हूं और अब मुझे इस बात का सुकून मिलेगा कि मैंने सभी के लिए कुछ ना कुछ किया और कोई हिसाब-किताब बाकी नहीं रखा।
गुरुजी मुस्कुराकर बोले कि यही तुम्हारे सवाल का जवाब है। तीन दिन पहले तुमने मुझसे पूछा था कि आपसे कोई पाप नहीं होता, आपको क्रोध नहीं आता और आप सदा प्रेमपूर्ण और शांत चित्त बने रहते हैं तो इसका राज क्या है?...बेटे एक-ना-एक-दिन सभी को मरना ही है लेकिन तुम इसे गहराई से समझते नहीं और मैं समझता हूं कि आज जिसे में देख रहा हूं, सुन रहा हूं एक-ना-एक-दिन वे सभी मुझसे दूर चले जाएंगे। तुम निश्चिंत रहे अभी तुम मरने वाले नहीं हो।