ओशो रजनीश अपने प्रवचनों में कई कहानियां सुनाते थे। एक बार ओशो रजनीश ने अपने किसी प्रवचन में बहुत अच्छी कहानी सुनाई थी। आजा हम पढ़ते हैं उस प्रेरक कहानी को।
एक बार एक राजा ने अपनी सुरक्षा के लिए बहुत ही अच्छा महल बनाया और उसमें एक ही दरवाजा रखा था ताकि कोई शत्रु महल के अंदर ना घुस पाए और उस एक दरवाजे पर कड़ा पहरा होता था। यह खबर पड़ोस के मित्र राजा के पास पहुंची तो उसने इस महल को देखने की इच्छा जाहिर की। पड़ोसी राजा महल को देखने आया।
उसने महल को अच्छे से देखा और राजा से कहा कि बाकी सब तो ठीक है परंतु इस महल में एक गलती है। राजा ने पूछा, वो क्या है? तब पड़ोसी राजा ने कहा कि इस महल में एक ही दरवाजा है, यह खतरे वाली बात है क्योंकि दरवाजे से तो मौत भीतर आती है। तुम इस दरवाजे को भी बंद करदो तो अच्छा है। फिर पूरी सुरक्षा हो जाएगी और कोई भी भीतर नहीं आ पाएगा और ना बाहर जा सकेगा।
राजा ने कहा कि यह खयाल तो मुझे भी आया था लेकिन फिर पहरे की जरूरत ही नहीं रहेगी। परंतु ऐसे में तो मैं भीतर ही मर जाऊंगा। दरवाजा खुला है तो ही तो मैं जी रहा हूं।
उस पड़ोसी राजा ने कहा कि इसका मतलब यह कि यदि दरवाजा बिल्कुल बंद कर दिया जाए तो तुम मर जाओगे? अर्थात यह कि एक दरवाजा खुला है तो तुम थोड़े बहुत जी रहे हो। इसका मतलब यह भी है कि यदि दो दरवाजे खुले होंगे तो तुम थोड़ा और जियोगे और यदि सभी दरवाजें खुले रहेंगे तो तुम तो फिर खुलकर जियोगे। पड़ोसी राजा ने कहा कि तुम जितने सुरक्षा के इंतजाम करोगे उतना खुद को असुरक्षित महसूस करोगे।.. जिसने महल बनवाया था उस राजा को पड़ोसी राजा की बात समझ में आ गई।
सीख : हमारी जिंदगी के साथ भी यही होता है। लाइफ में सुरक्षा की तलाश ना करें। मन के सारे दरवाजे खोलकर जियो। जिंदगी का कोई भरोसा नहीं। सुरक्षा के इंताजम में कहीं ऐसा ना हो कि आप जिंदगी का मजा लेना ही छोड़ दें।