मुंबई की भीड़-भाड़ से लगभग 100-120 किलोमीटर दूर है खूबसूरत और आकर्षक हिल-स्टेशन खंडाला। मुंबई और पुणे जैसे शहरों से बेहद नजदीक और नैसर्गिक सौंदर्य से लबालब होने की वजह से सैलानियों के बीच वीकेंड डेस्टिनेशन के तौर पर काफी लोकप्रिय हो चुका है।
सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला की निचली रेंज पर बसा खंडाला वैसे तो एक छोटा-सा हिल स्टेशन हैं, लेकिन यहां बिखरी कुदरती सुंदरता मन को मोह लेती है। खासकर मानसून के समय तो यहां नजारा बेहद ही खूबसूरत दिखाई देता है। चारों ओर पहाड़ों पर फैली हरियाली और उसके बीच से कल-कल करते झरने, जैसे कुदरत यहां दोनों हाथों से अपनी सुंदरता बिखेर रही है।
खंडाला की सैर में आनंद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रेलमार्ग से यहां पहुंचने में करीब 20 से ज्यादा सुरंगों से गुजरता रास्ता ही बेहद अनोखा एहसास कराता है। इतना ही नहीं, खंडाला उन लोगों के लिए भी बेहद खास जगह है जिन्हें ट्रैकिंग और क्लाइम्बिंग जैसे रोमांचक और साहसिक गतिविधियों में विशेष रूचि हो।
खंडाला की भूशी झील सैलानियों के बीच काफी मशहूर है। दरअसल पानी का सुखद किनारा और चारों ओर बिखरी प्राकृतिक सुंदरता सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। यहां झील किनारे कुछ देर बैठना मन को बेहद शांति और सुकून देता है।
खंडाला में ड्यूक नोज प्रकृति का एक अद्भुत नजारा पेश करती है। दरअसल यह एक सीधी खड़ी चट्टान जो सैलानियों के बीच रॉक क्लाइम्बिंग स्पॉट के तौर पर काफी लोकप्रिय है। एक ब्रिटिश गर्वनर के नाम पर इसका नामकरण हुआ। हालांकि स्थानीय लोग इसे नागफनी कहकर भी पुकारते हैं। इस पहाड़ी के नजदीक ही सौसेज हिल और आईएनएस शिवाजी है।
खंडाला का रिवर्सिंग स्टेशन भी देखने योग्य जगह है। हालांकि बहुत पहले यह रेलवे की संपत्ति में शामिल थी लेकिन अब यह एक वीरान और उजाड़ जगह है। यह खंडाला के मुख्य रेलमार्ग पर 26 नंबर सुरंग के पास स्थित है, जहां से चारों ओर खासकर खोपोली नामक इलाका बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
खंडाला से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं कार्ला और बेज गुफाएं। यह पहाड़ी चट्टानों और पत्थरों को काट कर बनाई गई गुफाएं हैं। इन गुफाओं के स्तंभों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। साथ ही यहां दूसरी शताब्दी के खूबसूरत और अद्भुत मंदिर भी मौजूद हैं जिनमें भारत का सबसे खूबसूरत बुद्ध का मंदिर शामिल है।