इस अंचल से कई गाथाएं, दंतकथाएं जुड़ी हुई हैं। यहां आप नजारे देखें या फिर पर्वतारोहण करें या पैराग्लाइडिंग, स्कीइंग, बर्फ की चोटी पर स्केटिंग या फिर गोल्फ का आनंद लें हिमाचलप्रदेश बाहें फैलाकर आपका स्वागत करने के लिए तैयार है।
देवताओं की घाटी कुल्लू : - कुल्लू की घाटी को देवताओं की घाटी भी कहा जाता है। बसंत के मौसम में तो कुल्लू जैसी जगह लाजवाब हो जाती है। यहां जब गुलाबी और सफेद फूल चारों तरफ खिल जाते हैं तो जो दृश्य उपस्थित होता है उसको शब्दों में बयान करना कठिन है। ढलानों के ऊपर की तरफ जहां तक नजर दौड़ाएं चटख रोडेन्ड्रॉन फूलों के रंग सब तरफ बिखरे दिखाई देते हैं।
जब शरद ऋतु आती है तो नीला आसमान एकदम निर्मल दिखाई देने लगता है। दिसंबर महीने तक हरियाली चली जाती है, लेकिन अब भी जंगल में लंबे-चौड़े देवदार के ऊंचे पेड़ सिर उठाए खड़े रहते हैं। सर्दियां आने पर पहाड़ों की ढलानों पर बर्फ की सफेद चादर-सी बिछ जाती है। इस बात में कोई शक नहीं कि यह पश्चिमी हिमालय की सबसे खुशनुमा जगह है।
इसे मानव बस्तियों की अंतिम सीमा मानने के कारण इसे प्राचीन समय में कुलांतपीठ भी कहा जाता था। लेकिन महाकाव्यों-रामायण, महाभारत और विष्णु पुराण में इसका उल्लेख इसी नाम से हुआ है।
मनोरम पर्यावरण स्थल 'मनाली' :- मानवालय यानी मनु के आवास से मनाली का नाम पड़ा है। मनु जो मानव जाति के पिता कहे जाते हैं, उन्होंने अपने आवास के लिए बहुत ही मनोरम पर्यावरण को चुना। मनाली अभी भी अपने आकर्षण और सुंदरता को उसी तरह से संजोए हुए है।
एक तरफ हिमालय की शान, नगर के बीचोंबीच से गुजरती व्यास नदी, घास के मैदानों से सजी बलखाती हरी-भरी घाटी उसमें चरती बकरियां, सेबों के बागान और लोक गीत इसकी छटा में चार चांद लगा कर किसी भी पर्यटक का मन मोह लेते हैं।
मनाली और उसके आसपास के हरेभरे क्षेत्र एक तरफ तो आपको सैर करने की दावत देते हैं तो दूसरी ओर ऊंचे-ऊंचे पर्वत पर्वतारोहकों को चुनौती देते हुए लगते हैं। अगर आप अपनी छुट्टियों में और अधिक रोमांच के क्षण चाहते हैं, तो आपके लिए हेली स्कीइंग के सर्वाधिक लोकप्रिय स्थल भी यहां पर हैं।
क्या देखें :- कुल्लू- यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है, कहीं भी चले जाइए आपको निराश नहीं होना पड़ेगा फिर भी रोरिख कला दीर्घा, ऊरुसवती हिमालय लोक कला संग्रहालय और शाम्बला बौद्ध थंगका कला संग्रहालय देखने योग्य हैं। पूजा स्थलों में काली बाड़ी मंदिर, रघुनाथ मंदिर, बिजली महादेरु मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर अवश्य देखें।
मनाली - यहां पर कोठी, वन विहार, तिब्बती बाजार और माल, रहाला प्रपात, रोहतांग दर्रा, सोलांग घाटी, हिडिंबा देवी मंदिर, जगतसुख मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं।
मनीकरन- यहां पुराना हिंदू मंदिर और गुरुद्वारा है। मनाली से 85 और कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर पर्वती घाटी में पवित्र तीर्थस्थल है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्नी पार्वती के कान का खोया हुआ झुमका यही से मिला था इसीलिए इस जगह का नाम मनीकरन पड़ा है।
यहां पार्वती नदी के बर्फ की तरह ठंडे पानी के साथ-साथ गरम पानी का चश्मा है। हजारों लोग इस गरम पानी के चश्में में डुबकी लगाते हैं। यह चश्मा कई बीमारियों को दूर करने के लिए विख्यात है। यह पानी इतना गरम होता है कि दाल, चावल इसमें उबाले जा सकते हैं।