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मध्यप्रदेश में अबकी बार आदिवासी सरकार के नारे से भाजपा बेचैन, कांग्रेस ने डाले डोरे

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विशेष प्रतिनिधि

, रविवार, 23 सितम्बर 2018 (10:26 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले भाजपा चौतरफा घिरती नजर आ रही है। चुनाव से ठीक पहले जहां नए बने राजनीतिक संगठन सपाक्स ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। वहीं अब भाजपा को अबकी बार आदिवासी सरकार के नारे ने बैचेन कर दिया है।
 
भाजपा के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए नए बने संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) ने प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है।
 
जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल आलवा का कहना है कि  संगठन जल्द ही अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर देगा। पार्टी ने 30 सितंबर तक टिकट के दावेदारों से अपनी दावेदारी पेश करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी उन युवाओं को टिकट देगी, जिन्होंने पिछले पांच सालों में आदिवासियों के बीच बेहतर काम किया है।
 
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भाजपा क्यों परेशान : अब सवाल ये उठता है कि महज पांच साल पहले बने संगठन जयस से भाजपा क्यों परेशान है? इसके पीछे वोटों और सीटों का ऐसा समीकरण है जो एक समय प्रदेश की सियासत में कांग्रेस की ताकत होती थे। लेकिन 2008 और 2013 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासियों के बीच अपना जनाधार बढ़ाते हुए बड़ी जीत हासिल की थी।
 
मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग की आबादी 21 फीसदी है। वहीं विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए रिजर्व है। इसमें से 2013 के चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करते हुए 32 सीटों पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस को सिर्फ 15 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं प्रदेश में 30 के करीब ऐसी विधानसभा सीटें है जहां आदिवासी वोटों का जीत हार में बड़ा रोल होता है।
 
आदिवासी वोट बैंक के इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए 2013 में बने संगठन जयस ने आदिवासी इलाकों पिछले दिनों अपनी गहरी पैठ जमाई है। ऐसे में चुनाव के समय संगठन आदिवासी सीटों पर बड़ा असर डाल सकता है।
 
विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा को हराने के लिए संगठन के अध्यक्ष हीरालाल ने इन सीटों पर जनजागरण यात्रा निकाल रहे है। वहीं आदिवासियों के बीच काम करने वाली मेधा पाटकर ने भी जयस को अपना समर्थन दिया है।
 
कांग्रेस ने जयस पर डाले डोरे : सियासी गलियारों में इन दिनों ये चर्चा जोरों ये चल रहीं है कि जयस भाजपा को हराने के लिए चुनाव में कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकता है। चर्चा तो इस बात की भी है कि आदिवासी बाहुल्य कई सीटों पर जयस कांग्रेस के उम्मीदवारों का समर्थन कर सकती है। वहीं जयस संरक्षक हीरालाल आलवा  के कांग्रेस में शामिल होने की खबरें भी है। हालांकि हीरालाल इस तरह की खबरों को निराधार बता रहे है।
 
अगर बात करें कांग्रेस की तो पार्टी के पास कोई ऐसा आदिवासी चेहरा नहीं है जिसकी आदिवासियों के बीच गहरी पैठ हो। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि जयस को अपने साथ करके वो आदिवासी वोट बैंक को अपनी तरफ कर सके।

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