नेता ही नहीं मतदाता भी हैं बेचैन, सता रही है इन 5 बातों की चिंता

नृपेंद्र गुप्ता
मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार अंतिम दौर में पहुंच चुका है। चुनाव लड़ रहे नेताओं की सांसें तेज हो गई हैं। मतदाताओं को रिझाने में उन्होंने कोई कौर कसर नहीं छोड़ी है। इस चुनाव में कार्यकर्ताओं की चुप्पी ने भी नेताओं को परेशान कर रखा है। हालांकि जितना नेता परेशान हैं उतनी ही बैचेनी मतदाताओं में भी दिखाई दे रही है। जानिए क्यों बेचैन हैं मतदाता... 
 
मुद्दों से दूरी : इस चुनाव चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, सभी दलों ने मुद्दों से दूरी बनाकर रखी है। उम्मीदवारों की दिलचस्पी मुद्दों से ज्यादा चुनावी हथकंडों में है। प्रमुख दलों के कई उम्मीदवारों को तो पार्टी के घोषणापत्र के बारे में ही ज्यादा पता नहीं है। सभी प्रत्याशी चुनाव तो जीतना चाहते हैं, इसके लिए उन्हें साम, दाम, दंड और भेद की नीति से कोई गुरेज नहीं है। जनहित से उनका दूर-दूर तक सरोकार नजर नहीं आ रहा है। 
 
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति : एक तरफ चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को यकीन है कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालकर, प्रतिद्वंद्वी को जनता के बीच बदनाम कर आसानी से चुनाव जीता जा सकता है। दूसरी ओर जनता इस बात से चिंतित है कि इस कदर गिरे हुए नेताओं से उम्मीद क्या रखें। चुनाव मैदान में इस तरह की बात की जा रही है तो विधायक बनने के बाद वह क्या गुल खिलाएंगे। 
  
कब आएंगे प्रत्याशी : जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, उन इलाकों के लोगों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं, जहां प्रत्याशी अभी तक प्रचार के लिए नहीं पहुंचे हैं। लोगों को यह चिंता सता रही है कि अगर प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए ही नहीं आए तो वे वोट किसे देंगे। अभी जरूरत के समय नेताओं का यह हाल है तो चुनाव बाद क्या होगा?
 
प्रलोभन की राजनीति : चुनावी समर में उतरे नेताओं के लिए मतदाताओं को रिझाना बेहद जरूरी है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। कई बार लोगों को बड़े-बड़े प्रलोभन दिए जाते हैं। कई बार छुटभैये नेता उनके वोट के नाम पर मोटी रकम भी वसूल कर लेते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता। ऐसे में कई बार ईमानदार मतदाता को ठगा हुआ महसूस करते हैं। 
 
विकल्प का अभाव : हर बार की तरह इस चुनाव में भी उम्मीदवारों की भीड़ के बीच मतदाताओं को विकल्प का अभाव नजर आ रहा है। ऐसे में उन्हें अपने क्षेत्र की चिंता सता रही है और उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि किसे और क्यों वोट देना है।
 
बहरहाल इन चिंताओं के बीच भी मतदाता चुनाव को लेकर खासे उत्साहित हैं। चुनाव आयोग की तैयारियों और मतदाओं के इसी उत्साह ने एक बार फिर रिकॉर्ड मतदान की उम्मीद जगा दी है।     

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख