ना बीबी न भैया “सबसे बड़ा रुपइया” सभी ने सुना होगा। यह पैसा जो सिक्के में या नोटों में भले ही अलग-अलग आकार, रंग-रूप, वजन लिए हुए हो पर जिसकी जेब में ये बसते हैं वो ही इस दुनिया में सबसे रुतबेदार है। इसी के आस-पास सारी दुनिया घूमती है। फिर भी पैसा या धन बहुत कुछ हो सकता है लेकिन सबकुछ नहीं।
“न वित्तेन तर्पणीयोमनुष्यः” - (कठ. उपनिषद् - 1/27 )
धन से मनुष्य की तृप्ति नहीं हो सकती।
जिस धन की महिमा इतनी अपरम्पार है उसके बारे में कभी जानने की कोशिश की ? तो आइए जानते हैं कि पैसे, भारतीय मुद्रा कितनी ऐतिहासिक है?
क्या आप जानते हैं कि पंच-चिन्हित सिक्के ईसा से पहले भी मौजूद थे? भारत में सबसे प्रारंभिक सभ्यताओं में, सिक्कों को 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय मुद्रा/पैसों /रुपयों के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
1.प्राचीन, मध्ययुगीन और मुगल काल, सभी में सिक्के के रूप में मुद्रा का उपयोग किया जाता था। सबसे उल्लेखनीय शेरशाह सूरी का रूपिया था, जो आधुनिक रुपए का अग्रदूत बन गया।
2.कागज का पैसा पहली बार अठारहवीं शताब्दी के अंत में जारी किया गया था। बैंक ऑफ हिंदोस्तान, बंगाल में जनरल बैंक और बंगाल बैंक ऐसे पहले बैंक हैं जिन्होंने कागजी मुद्रा जारी की है।
3. भारत सरकार के नोटों का पहला सेट विक्टोरिया पोर्ट्रेट श्रृंखला था। सुरक्षा कारणों से, इस श्रृंखला के नोट आधे में काट दिए गए थे; एक आधा डाक द्वारा भेजा गया था, और प्राप्ति की पुष्टि होने पर, दूसरा आधा भेजा गया था। उन्हें 1867 में 'अंडरप्रिंट' श्रृंखला द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
4.भारतीय रिजर्व बैंक का औपचारिक रूप से 1935 में उद्घाटन किया गया था और भारत सरकार के नोट जारी करने का अधिकार दिया गया था। RBI द्वारा जारी किया गया पहला नोट किंग जॉर्ज VI के चित्र पर आधारित पांच रुपए का नोट था।
5. दृष्टिहीन लोगों के लिए उठाए गए प्रिंट (इंटैग्लियो) के रूप में प्रत्एक नोट के बाएं हाथ पर एक पहचान चिह्न (अलग-अलग ज्यामितीय आकार) है - 1000 रुपए में एक हीरा, 500 रुपए के लिए चक्र, 100 के लिए त्रिकोण , रुपए के लिए वर्ग, 20 रुपए के लिए आयत और 10 रुपए के लिए कोई चिह्न नहीं था।
6.क्या आपने कभी साल के नीचे अलग-अलग प्रतीकों पर ध्यान दिया है। ए प्रतीक वास्तव में निर्दिष्ट कर रहे हैं जहां उत्पत्ति हुई। निम्नलिखित जानकारी मान ली गई है और उन्हें आवंटित किया गया है ।।।
- दिल्ली (नोएडा) - एक बिंदु है
- मुम्बई - एक हीरा है
- हैदराबाद - एक सितारा है
- कोलकाता - वर्ष के नीचे कुछ भी नहीं
7.भारतीय रुपए पर आप इन "I, J, O, X, Y, Z" अक्षर पैनल पर वर्णमाला / अक्षर नहीं पा सकते हैं। जैसा कि इस मामले में RBI के पास केवल बीस अक्षर हैं, इनसेट के रूप में उपयोग किया जाता है। सुरक्षा कारणों से, भारतीय रिज़र्व बैंक यह नहीं बताता है कि कौन से इंसेट वर्णमाला / अक्षर को प्रिंटिंग प्रेस के लिए सौंपा गया है।
8.बैंक नोटों की वर्तमान श्रृंखला को महात्मा गांधी श्रृंखला कहा जाता है। नोटों की महात्मा गांधी श्रृंखला 1996 में शुरू की गई थी।
हम चाहे जितना धन इकठ्ठा कर लें पर प्रकृति और नियति के आगे हम सभी बेबस और लाचार हो जाते हैं। पर फिर भी कलियुग में मनुष्य ही मनुष्य के सुख-दुःख से सौदा करने लगता है और उसका माप दण्ड बन जाता है रुपया/ धन/ पैसा। इसकी भी तीन गतियां होतीं हैं-
दानं भोगो नाशः तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य।
यो न ददाति न भुंक्ते तस्य तृतीया गतिर्श्रवति।- (भर्तृहरि - नीतिशतक 43)
दान, भोग और नाश ए तीन गतियां धन की होती हैं। जो न देता है और न भोगता है, उसकी तीसरी गति होती है।
पर चाहे जो भी हो इसे भी तो झुठलाया नहीं जा सकता कि-
“वित्तवान गुणवान है, वित्तहीन गुणहीन।
महिमा वित्त सामान कहुं, काहू की देखीन।”- (रामेश्वर करुण-करुण सतसई पृष्ठ 107)