वे अटल हैं क्योंकि वे सरल थे...

स्मृति आदित्य
शब्दों को एकत्र किया, सजाया, संजोया और जब लिखने बैठी तो फिर सब बिखर गए, मन टूट गया कि अटल जी चले गए... बार-बार की कोशिश के बावजूद कोई स्मृति-लेख पूर्ण नहीं कर पाई। एक सितारा जो कभी अस्त होने के लिए बना ही नहीं था, राजनीति की बगिया का वह फूल जो कभी मुरझाने के लिए बना ही नहीं था... जिनकी सुगंध युगो-यगों तक महकाती रहेगी... 
 
कुछ दिन से वह सार्वजनिक जीवन में नहीं थे पर एक आश्वस्ति थी कि वे हैं.. पर आज वह आस भी नहीं... हर कोई अपने-अपने अंदाज में उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है.. भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है और मैं याद कर रही हूं स्कूल-कॉलेज के वे दिन जब काव्य पाठ प्रतियोगिता में किसी कवि की रचना सुनानी होती थी तो अटल जी ही मेरी पहली पसंद होते थे। 
 
उनसे मिलने का मुझे कभी मौका नहीं मिला पर नानाजी आदरणीय पं. सूर्यनारायण जी व्यास पर डाक टिकट का विमोचन उनके हाथों हुआ तो मां और मौसी को आदरणीय राजशेखर मामाजी के माध्यम से उनसे मिलने का मौका मिला था। मुझे याद है प्रधानमंत्री आवास से जब मां लौट कर आई थीं तब एक-एक बात उनसे पूछी थी और क्या कहा उन्होंने, वे कैसे लग रहे थे, वे कितनी देर बोले...बहरहाल अब सिर्फ यादें हैं। 
 
राजनीति के वे राजा थे, साहित्य के सरताज, कविताएं उनसे झरती थीं.. सरल-तरल वाणी उनकी सरिता सी बहती थीं। वे सरल थे, इसीलिए अटल थे। भाषा उनकी चुस्त, चुटीली और चटखारेदार होती थीं पर वे इतने चौकस हमेशा रहे कि उसका स्तर उन्होंने कभी गिरने नहीं दिया। शालीन हास्य और शानदार ठहाकों के लिए वे जाने जाते रहे पर परिहास और उपहास के बीच एक महीन सी रेखा होती है जिसे आदरणीय अटल जी की शिष्टता ने कभी नहीं लांघा।
 
पूरा परिवार उनका दिल से प्रशंसक था पर मेरी उनमें तिल भर भागीदारी ज्यादा ही समझिएगा। एक अरमान था उन्हें देखने का, सुनने का, उनके करिश्माई व्यक्तित्व को कुछ देर तक निहारने का। एक कसक, एक फांस सदा बनी रहेगी कि उन्हें मैं प्रत्यक्ष नहीं मिल सकी। 
 
उनकी इतनी कविताएं याद है और हर कविता मेरे दिल के करीब है। हर कविता से एक नया अर्थ मुझमें खुलता है और उन्हें पढ़ते हुए मैं,  मेरा पाठक मन खुद को बहुत तृप्त महसूस करता है। उनके राजनीतिक व्यक्तित्व पर कुछ कह सकूं उतनी मैं काबिल नहीं, साहित्यिक किरदार पर कुछ रच सकूं उसके योग्य भी मैं खुद को नहीं पाती पर उन्हें उनकी हर पंक्तियों के माध्यम से दिल के इतने-इतने करीब पाती हूं कि पिछले 3 दिनों से सब कुछ जानते हुए भी कि वे नहीं रुक सकेंगे हमारे बीच.. पता नहीं क्यों रह-रह कर आंख भर आती है..  हम सबको एक दिन जाना है... पर इतना-इतना प्यार, इतना गहरा सम्मान लेकर जाना कहां हर किसी के नसीब में होता है। अटल जी काश आप लौट आएं और कितना अच्छा हो कि कलाम साब को भी साथ ला पाएं... कुछ लोग जाने के लिए नहीं होते ... आप उन्हीं में से हैं ...  'थे' लिखूं, ऐसा आपका व्यक्तित्व कभी हमने माना नहीं... 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख