चेन्नई की बाढ़ और सोशल मीडिया

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग

चेन्नई में आई भीषण बाढ़ में राहत पहुंचाने वाले फौजियों के बाद अगर कोई सबसे बड़ा मददगार साबित हुआ, तो वह था सोशल मीडिया। जिस सोशल मीडिया को लोग कोसते थे और वक्त जाया करने की मशीन बताते थे, उसने संकट की घड़ी में राहत पहुंचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अखबार और टीवी चैनल शुरुआत में केवल रूटीन की खबरें देते रहे, लेकिन सोशल मीडिया की जागरूकता ने उन्हें भी सकारात्मक भूमिका के लिए मजबूर कर दिया। अब डिजास्टर मैनेजमेंट में सोशल मीडिया की मदद ली जा रही है। 
बाढ़ग्रस्त चेन्नईवासियों के लिए स्काइप ने पहली मदद यह की कि सारे वीडियो कॉल सभी के लिए फ्री कर दिए। टि्वटर ने चेन्नईवासियों की सूचनाएं बार-बार अपडेट करने में मदद की, जिससे सभी को सहायता मिली। बाढ़ में फंसे लोगों ने ट्वीट किए कि वे कहां फंसे हैं और सूचना पाते ही रेस्क्यू दल वहां पहुंचे। टि्वटर पर लोगों को आगाह भी किया गया और यह सूचना भी दी गई कि अगर आपको मुसीबत में किसी तरह की मदद चाहिए, तो आप इन टेलीफोन नंबर पर संपर्क कर सकते है। कई एनजीओ भी आगे आए। 
 
टि्वटर पर सबसे दुखद पहलू यह रहा कि राजनीति करने वाले यहां भी पीछे नहीं रहे। पीआईबी द्वारा जारी एक फोटो को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत भद हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हवाई जहाज से बाढ़ग्रस्त चेन्नई का अवलोकन करते दिखाया गया। सोशल मीडिया पर कहा गया कि मोदी का यह फोटो मूल फोटो नहीं है और पीआईबी ने उसके साथ छेड़छाड़ करके जारी किया है। इसके अलावा जयललिता की पार्टी के लोगों पर आरोप लगा कि उन्होंने राहत सामग्री पर अपनी नेता का फोटो चिपकाने का दबाव डाला। बाद में पार्टी की तरफ से इसका खंडन भी किया। टि्वटर ने ‘चेन्नई रेन्स हेल्प’, ‘चेन्नई फ्लड्स’, ‘चेन्नई माइक्रो’, ‘चेन्नई रेस्क्यू’ जैसे कई हैशटैग से लोगों के संदेशों को पहुंचाने में मदद की। 
 
फेसबुक भी यहां पीछे नहीं रहा और उसने चेन्नईवासियों के लिए 'सेफ' नामक एप जारी किया, जिसमें सेफ पर क्लिक करते ही फेसबुक यूजर का यह संदेश सभी मित्रों तक पहुंच जाता था कि वह यूजर सुरक्षित है। फेसबुक ने बाढ़ पीड़ितों के लिए कई अभियान भी शुरू किए, जिसमें चेन्नई फ्लड्स हॉटलाइन और रेन रिलीफ 2015 सीआरआर जैसे अभियान शामिल हैं। 
 
व्हॉट्सएप पर भी लोगों ने अपने बारे में सूचनाएं शेयर की और लोग आपस में एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ सके। व्हॉट्सएप के जरिए उन लोगों के संदेश भी राहत और बचाव दल तक पहुंचे, जो इंटरनेट का उपयोग बहुत ज्यादा नहीं समझते थे। 
 
सोशल मीडिया ने केवल जान बचाने में मदद ही नहीं की, बल्कि लोगों को भोजन और पानी उपलब्ध कराने में भी बड़ी भूमिका निभाई। अनेक लोगों ने अपने घरों के दरवाजे शहर के बाशिंदों के लिए खोल दिए और सोशल मीडिया पर यह संदेश दिया कि वे फलां स्थान पर सुरक्षित हैं और उस स्थान पर दूसरे लोग भी रात बिताने के लिए आ सकते हैं। इस तरह हजारों लोग अपना घर बाढ़ में डूबने के बावजूद सुरक्षित छत के नीचे रह सके। संकट की इस घड़ी में लोगों का आपसी भाईचारा खुलकर सामने आया और वे कहने लगे कि इंसान ही इंसान के काम आता है। 
 
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपने अनुभव भी शेयर किए। कई लोगों ने लिखा कि उन्हें बारिश से होने वाली बर्बादी का अंदाज नहीं था। शुरू में उन्होंने केवल अपने रिश्तेदारों और ऑफिस के सहयोगियों के लिए ही मदद के प्रस्ताव रखे थे, लेकिन जैसे-जैसे भयावहता बढ़ती गई, लोगों के सहयोग के दायरे भी बढ़ते गए। मदद करने वालों की सोशल मीडिया पर जमकर सराहना भी हुई। लोगों ने आभार के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया। कोई भी अलर्ट जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर उसे वायरल किया गया। इससे राहत में मदद मिली। अफवाहों का खंडन भी सोशल मीडिया पर किया गया। 
 
बाढ़ की विभीषिका के दौरान सभी लोगों के दिल बड़े नहीं रहे। विमान कंपनियों ने चेन्नई एयरपोर्ट पर पानी भरने पर नुकसान तो उठाया, लेकिन निकटवर्ती हवाई अड्डों तक जाने के मनमाने किराए वसूले गए। 
 
चेन्नई में बाढ़ के कारणों की समीक्षा हो रही है। वे सैकड़ों लोग कभी लौटकर नहीं आएंगे, जो बाढ़ के कारण मौत के काल में समा गए। अरबों रुपए के नुकसान की भी भरपाई भारतवासी कर ही लेंगे, लेकिन सेना ने संकट की घड़ी में लोगों की जो मदद की, वह बेमिसाल रही। हर बार जब भी हम संकट में पड़ते हैं, सेना ही हमारी मदद करती है। चेन्नई में सेना के बाद दूसरे नंबर पर अगर कोई मददगार रहा, तो वह सोशल मीडिया है। 
 
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