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दुष्‍कर्म में ‘डि‍जिटल कल्‍चर’ की विकृत मानसिकता ‘बेटि‍यों की जिंदगी’ के लिए हो गई और भी खतरनाक...!

हमें फॉलो करें दुष्‍कर्म में ‘डि‍जिटल कल्‍चर’ की विकृत मानसिकता ‘बेटि‍यों की जिंदगी’ के लिए हो गई और भी खतरनाक...!
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नवीन रांगियाल

भारत में होने वाले दुष्‍कर्म के मामलों में अब अपराधी घटना की वीडि‍यो रिकॉर्ड‍िंग कर रहे हैं। ऐसा ब्‍लैकमेल करने, एक्‍स्‍टॉर्शन के लिए, शर्मिंदा कर बदला लेने के लिए या डि‍जि‍टल कल्‍चर की लत की वजह से किया जा रहा है।


आइए जानते हैं दुष्‍कर्म की नई डि‍जिटल और विकृत मानसिकता के बारे में...

ए‍क नाबालिग लड़की के साथ सामुहिक दुष्‍कर्म होता है। आरोपी खुलेआम घूमते हैं। न कोई एफआईआर और न ही कोई सजा। आरोपी सीना तानकर कानून-व्‍यवस्‍था को मुंह चि‍ढ़ाते हैं और पीड़ि‍‍त लड़की अपनी आंखें झुकाकर चलती है, जैसे कि उसके साथ सामुहिक दुष्‍कर्म हुआ है तो उसकी जिम्‍मेदार वो खुद है।

यह राजस्‍थान के एक सामुहिक दुष्‍कर्म मामले की घटना के सच का सिर्फ एक हिस्‍सा है। ऐसा भारत के कई शहरों और दूर-दराज के गांवों में अक्‍सर होता है जिसकी खबर मीडि‍या को कभी नहीं लगती है।

हाल ही में मीडि‍या में कुछ चौंकाने वाली रिपोर्ट्स आई हैं। जिसमें खुलासा हुआ है कि अब दुष्‍कर्म या सामुहिक दुष्‍कर्म की घटनाओं में अपराधी दुष्‍कर्म की वीडि‍यो रिकॉर्डिंग कर रहे हैं। यही कारण है कि डर के चलते पीड़ित अपना मुंह हमेशा के लिए बंद कर लेती है और अपराधि‍यों के हौंसले हमेशा के लिए और बुलंद हो जाते हैं।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में प्रज्‍वल्‍ला फाउंडेशन की को-फाउंडर सुनीता कृष्णन ने बताया कि दुष्‍कर्म या सामुहिक‍ दुष्‍कर्म के करीब 60 प्रतिशत मामलों में आरोपी रेप की घटनाओं को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया। इसमें दुष्‍कर्म और सामुहिक दुष्‍कर्म दोनों शामिल है। सुनीता ने बताया कि यह शहरों और गांवों दोनों जगह हो रहा है।

इन पूरे मामलों में सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाला और दुखद पहलू यह है कि रेप की घटनाओं के यह वीडि‍यो सोशल मीडिया के अगल-अलग माध्‍यमों में या फि‍र किसी अश्‍लील साइट पर अपलोड कर दिए जाते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो गांव में तो गैंगरेप की घटनाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग मोबाइल रिचार्ज की दुकानों पर धड़ल्‍ले मिल रही है। यही काम शहरों में चोरी-छि‍पे हो रहा है।

गैंग रेप के भयावह तथ्‍य
  • पिछले कुछ समय में हुई सामुहिक दुष्‍कर्म की 60 प्रति‍शत घटनाओं में आरोपियों ने दुष्‍कर्म को अपने कैमरे में कैद किया।
  • एक और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सामुहिक दुष्‍कर्म के 99 मामलों में से 16 घटनाओं के वीडियो बना लिए जाते हैं।
  • टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुष्‍कर्म करते हुए वीडियो बनाने के 30 प्रकरण 2019- 20 में ही दर्ज किए गए।
  • 9 केस ऐसे है, जिनमे घटना को अंजाम देने के बाद वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया।
  • साल 2020 में 21 घटनाएं हुईं। इनमें से 10 उतर प्रदेश की है, 4 राजस्थान और 3 तमिलनाडु की है।
आखि‍र ऐसा क्यों?
ऐसे में सवाल है कि आखि‍र जो दुष्‍कर्म के जो वीडि‍यो या फोटो बाद में प्रकरण में सबूत के तौर पर काम आ सकते हैं तो ऐसे में कोई अपराधी घटना को अंजाम देते हुए पीड़ि‍‍त के साथ खुद का वीडियो क्‍यों बनाएगा।

इस सवाल के बहुत सारे जवाब हैं। सबसे पहला कारण तो यह कि पीड़ित‍ को ब्‍लैकमेल करने के लिए कि अगर वो पुलिस के पास गई तो उसे वीडि‍यो के दम पर बदनाम करने का डर दि‍खाया जा सके।

दूसरा कारण है पैसे के लिए ब्‍लैकमेल और एक्‍सटॉर्शन करना। किसी तरह का बदला लेने के लिए उसे जिंदगीभर के लिए शर्मिंदा करने के लिए।

तीसरा कारण गांव, देहात और पिछडे इलाकों की पीड़ि‍‍त लड़कियां और महिलाएं को ऐसे मामलों में यह अहसास दिलाया जाता है जैसे अपने साथ हुए दुष्‍कर्म के लिए वे खुद जिम्‍मेदार हैं, वो आरोपी नहीं जिन्‍होंने अपराध को अंजाम दिया है।

चौथा और सबसे खतरनाक कारण है डि‍जिटल कल्‍चर की लत। यानी आजकल हर कोई दिन में कई बार सेल्‍फी लेता है और वीडि‍यो बनाता है, मौका कुछ भी हो हर ऑकेजन की सेल्‍फी लेना और वीडि‍यो बनाना एक लत या बीमारी हो गई है। ऐसे में कुछ मामलों में दुष्‍कर्मी खुद घटना करते हुए खुद को कैमरे में कैद करना चाहते हैं। वो कैमरे के लिए परफॉर्म करते हैं, फि‍र चाहे वो सामुहिक दुष्‍कर्म जैसा भयावह क्राइम ही क्‍यों न हो।

कुछ मामलों में हो सकता है कि अपराधी उतना शातिर न हो जो उस समय यह सोचे कि वीडियो बनाने की यह करतूत बाद में उसी के खि‍लाफ सबूत बन सकती है। उसके पीछे ‘डि‍जिटल कल्‍चर’ का मनोविज्ञान चलता है जो कहता है कि I am raping.... Shoot me too यानि‍ मैं दुष्‍कर्म कर रहा हूं मुझे भी वीडियो में कैद करो।

ऐसे मामले जब पुलिस या मीडिया में नहीं आ पाते हैं तो दुष्‍कर्म के दंश झेलने वाली बेटि‍यां जिंदगीभर ऐसे अपराधि‍यों का शि‍कार होती रहती हैं और हमें पता भी नहीं चलता।

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