चार पेज बुक के, काम मेरे रोज के

लेखक वरिष्ठ मनोचिकित्सक हैं और सामयिक विषयों पर अपने विचार रखते हैं

डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी
सोमवार, 9 सितम्बर 2024 (11:50 IST)
हाल ही में एक निजी चैनल में एक गायक ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अपने गाने के बोल को नस्लों को खराब करने के खतरनाक इरादों से रचा था।यहां तक कि उसे बच्चों जैसी आवाज़ इसलिए गाया कि बच्चे उसे आत्मसात करें।

लोकप्रिय गीतों सहित संगीत, युवाओं के व्यवहार और व्यक्तित्व को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, जिसमें नशे के सेवन के प्रति दृष्टिकोण भी शामिल है। "चार बोतल वोदका, काम मेरा रोज़ का" जैसे गाने, जो शराब के उपयोग को महिमामंडित या सामान्यीकृत करते है,नशे के उपयोग के सामाजिक मानदंडों को आकार देने में योगदान दे सकते हैं।

ऐसे गाने युवाओं के बीच नशे के उपयोग के तरीके को कैसे प्रभावित करते इसे समझने की कोशिश करते हैं।

नशे के उपयोग का सामान्यीकरण: गानों में इवेंट्स के संदर्भ में शराब पीने को जोड़ा जाता है, तो वे मानसपटल पर शराब पीने को एक नियमित या वांछनीय गतिविधि की तरह बना सकते हैं।

रोल मॉडलिंग:हम मशहूर हस्तियों और कलाकारों को रोल मॉडल के रूप में देखते हैं। यदि हमारे पसंदीदा कलाकार नशे के उपयोग को महिमामंडित करते हैं तो यह हमारे व्यवहार में शामिल होने या गाने में चित्रित जीवन शैली का अनुकरण करने के लिए एक उत्साह पैदा कर सकता है। 

जोखिमों के प्रति असंवेदनशीलता: ऐसे गीतों के बार-बार संपर्क में आना जो मादक द्रव्यों के उपयोग को न केवल ग्लैमराइज़ करते हैं या सामान्यीकरण करते हैं बल्कि नशे के संभावित नुकसानों के प्रति लापरवाह बना सकते हैं। कूल डूड है भाई: कुछ गाने हानिकारक जेंडर संबंधी रूढ़िवादिता को भी सुदृढ़ कर सकते हैं, जैसे भारी शराब पीने के साथ पुरुषत्व को जोड़ना। इससे युवा पुरुषों में अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए शराब का सेवन करने के लिए अवास्तविक उम्मीदें और पियर प्रेशर पैदा हो सकता है।

इवेंट्स पर प्रभाव: इवेंट्स के लिए माहौल तैयार करने में संगीत एक बड़ी भूमिका निभाता है। जब नशे को बढ़ावा देने वाले गाने लोकप्रिय होते हैं, तो वे उन पार्टियों या समारोहों के लिए साउंडट्रैक बन सकते हैं जहां नशे की खपत को प्रोत्साहित किया जाता है।

कैसे हो बचाव युवाओं को उनके दृष्टिकोण और नशे संबंधी आदतों पर संगीत सहित मीडिया के संभावित प्रभाव के बारे में शिक्षित करने से उन्हें उन संदेशों का क्रिटिकल मूल्यांकन करके चेतना लाने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ जीवन शैली और सकारात्मक व्यवहार पर जोर देने वाले सेलिब्रेटीज को बढ़ावा देना युवाओं को बेहतर विकल्प सुझा  प्सकता है।माता-पिता, शिक्षक और समुदाय के नेता युवा लोगों के साथ लोकप्रिय संगीत की सामग्री और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करके भूमिका निभा सकते हैं।

हम ऐसे सेलिब्रेटी भी बनाएं जो कह सकें चार पेज बुक के,काम मेरे रोज के। नियामक संस्थाओं को भी यहां से एक बड़ा संदेश लेना चाहिए कि वे जो परोस रहे हैं उसमें न केवल समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करे बल्कि निर्माता की नियत का भी
नोट :  आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के निजी अनुभव हैंवेबदुनिया का आलेख में व्‍यक्‍त विचारों से सरोकार नहीं है। 
 

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