अपराध जगत में महिलाओं का प्रवेश भारतीय समाज के लिए घातक

संजय कुमार रोकड़े
भारतीय समाज में आजकल बड़े-बड़े अपराधों पर पुरुषों का ही आधिपत्य नहीं रहा है, बल्कि इस क्षेत्र में अब महिलाएं भी बड़ी तादाद में हाथ आजमाने लगी हैं। कभी चंबल के बीहड़ों में फूलनदेवी, सीमा परिहार जैसी दस्यु सुंदरियां सहित कुछ गिनी-चुनी महिलाएं ही अपराध में शामिल होती थीं। 
 
लेकिन बीते कुछ सालों का आंकड़ा देखें तो यह तस्वीर साफ नजर आती है कि आपराधिक दुनिया में महिलाओं की संख्या भी बड़ी तेजी से बढ़ी है। अब महिलाएं अपराध के मामले में खुले तौर पर हर काम में शामिल हैं। प्रॉपर्टी के नाम पर अवैध धंधे का मामला हो या चाहे शादी-ब्याह के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगी का मामला हो या हफ्तावसूली, स्मैक व नशीले पदार्थ बेचना हो या पॉकेटमारी करना हो- हर काम में अब किसी न किसी महिला का नाम शामिल है। आज के इस आधुनिक दौर में महिलाएं अब अपराध की दुनिया में मर्दों का मुकाबला करने में पीछे नहीं हैं। 
 
हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से योगिता अजमेरा को क्राइम ब्रांच ने दबोचकर कोर्ट में पेश किया है। इस महिला पर फीनिक्स टाउनशिप के नाम पर सैकड़ों लोगों से धोखाधड़ी करने का आरोप है। योगिता का नाम 125 करोड़ के उस जमीन घोटाले में शामिल है जिसमें उसका पति चंपू उर्फ रितेश अजमेरा और उसके परिवार के कई लोग आरोपी हैं। पुलिस ने योगिता पर 10 हजार रुपए का इनाम भी रखा था। 
 
जब मुंबई से अरेस्ट करके क्राइम ब्रांच की टीम योगिता को इंदौर लाई तो वह पूरे समय थाने में मुंह छिपाती रही और कोर्ट में पेश होने के दौरान कैमरे से बचती रही। सनद रहे कि योगिता को जस्टिस धर्मेंद्र कुमार टाडा की कोर्ट में पेश किया गया था लेकिन वह वहां भी काफी नखरे दिखाती रही। 
 
खबरें तो ये भी सामने आ रही हैं कि फरारी के दौरान योगिता का उसके फरार जेठ नीलेश व उसकी पत्नी सोनाली से विवाद भी हुआ था। इन्हीं के द्वारा योगिता के मुंबई में होने की जानकारी क्राइम ब्रांच को लगी थी। योगिता को पुलिस ने मुंबई जाकर ऐसे पकड़ा कि उसको भनक तक न लगी। पुलिस के मुताबिक उसे सूचना मिली थी कि योगिता नेपाल के कैसिनो में देखी गई है। इस पर पुलिस नेपाल जाने की तैयारी में थी, इसी बीच पता चला कि योगिता मुंबई में परिचित सीमा जैन के यहां छिपी है। 
 
जब क्राइम ब्रांच की टीम ने उस फ्लैट पर दबिश दी तो उस समय वहां बेटा ही मिला। योगिता परिचित के यहां गई थी। करीब 5 घंटे का लंबा इंतजार कर क्राइम की टीम वहीं डटी रही और जो भी फ्लैट पर आया उसका मोबाइल बंद कर बैठा लिया। घंटों इंतजार के बाद जब योगिता आई तो पहले उसने चौकीदार को ऊपर भेजा। चौकीदार को भी जब टीम ने बैठा लिया तो इसके बाद एक परिचित को भेजा। पुलिस ने उसे भी पकड़कर बिठा लिया। इसके बाद योगिता एक रेस्टॉरेंट में जाकर छिप गई। बाद में घेराबंदी कर योगिता को पुलिस ने वहां से गिरफ्तार किया। 
 
काबिलेगौर हो कि योगिता इतनी शातिर दिमाग महिला है कि उसने एक ही प्लॉट को कई लोगों को बेच दिया और कागज में हेरफेर कर सरकारी जमीनों पर भी कॉलोनी काट दी। पुलिस से बचने के लिए उसने कोई फोन इस्तेमाल नहीं किया और न ही बैंक अकाउंट्स तक ऑपरेट किए। 
 
हालांकि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद वह कहने लगी उसे पति चंपू के फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं है, वह डायरेक्टर थी इसलिए केवल दस्तावेजों पर साइन किए थे। इसके साथ ही उसने बताया कि फरारी के दौरान वह मुंबई के अलावा धुले और नागपुर में भी रही थी। इस दौरान उसे उज्जैन में रहने वाले उसके माता-पिता आर्थिक मदद कर रहे थे। अब क्राइम ब्रांच फरारी में योगिता की मदद करने वालों को भी आरोपी बनाएगी।
 
कुछ-कुछ इसी तरह की धोखाधड़ी का एक और मामला इंदौर में ही सामने आया है। यहां बीते दिनों लुटेरी दुल्हनों का एक गिरोह पकड़ में आया है। इस गिरोह में शामिल अधिकतर लड़कियां पैसे वालों की तलाश कर उनको अपना शिकार बनाती थीं। गिरोह की सरगना का आलम तो यह है कि वह बड़े-बड़े आसामियों की ही खोज में जुटी रहती थी। ये अधेड़ उम्र के कारोबारी और किसानों से लाखों रुपए लेकर शादी करवाती थी। क्राइम ब्रांच ने हाल ही में इस गिरोह की सरगना को गिरफ्तार किया है। 
 
काबिलेगौर हो कि गिरोह की सदस्य शादी के कुछ दिनों बाद ही जेवरात व नकदी समेटकर फरार हो जाती थी। इस गिरोह में शामिल अधिकांश महिलाएं 6 से 8 महीने में अपना पति बदल लेती हैं। सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि जब उनको फरार होने का अवसर नहीं मिल पाए तो महीनों पति के साथ रहती और इसी बीच वह गर्भवती भी हो जाती। पुलिस ने गिरोह की सरगना से 4 बच्चे भी बरामद किए हैं। 
 
इंदौर के डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा की मानें तो चंदननगर इलाके की निवासी ज्योति उर्फ काली चौधरी ने घर में 4 बच्चों को छुपा रखा था और यही मास्टरमाइंड रही है। वह बच्चों को कभी बाहर भी नहीं आने देती थी। हालांकि घर के अंदर से रोज बच्चों के रोने की आवाज आती थी। इसी शंका पर पुलिस ने मानव तस्कर गिरोह की जांच करने वाली टीम को सादी वर्दी में रेकी के लिए छोड़ा। 
 
जब शक के आधार पर ज्योति को हिरासत में लिया गया तो उसने पूछताछ में बताया कि बच्चे उसकी परिचित शिवानी और अन्य 3 महिलाओं के हैं। इन चारों महिलाओं की कुछ महीने पूर्व ही शादी हुई थी। उसने यह भी बताया कि यह उसकी दूसरी शादी है, अपने पहले पति को छोड़कर 7 साल पूर्व विजय चौधरी से दूसरी शादी कर ली थी। विजय अभी जेल में है। 
 
इस मामले पुलिस को ये भी शक है कि कहीं ये महिलाएं बच्चों को बेचने के काम के साथ ही भीख तो नहीं मंगवाती हों? पुलिस इन बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने पर भी विचार कर रही ही है ताकि इनके असली पिताओं की जानकारी मिल सके। हालांकि पूछताछ में ज्योति बच्चों के पिताओं के बारे में जानकारी नहीं दे पाई लेकिन यह साफ बता दिया कि वह शादी कराने वाले एक फर्जी गिरोह से जुड़ी हुई है और इनके पिताओं की जानकारी उसे नहीं है। इसके बाद ही पुलिस ने ज्योति पर केस दर्ज कर रिमांड पर लिया। 
 
अपुष्ट खबरें तो ये भी हैं कि इंदौर क्राइम ब्रांच ने दुल्हनों के पुराने पतियों को भी ढूंढ लिया है। इसके साथ ही नए पतियों को भी अलर्ट रहने की सीख दी है। इधर एएसपी क्राइम अमरेन्द्रसिंह की मानें तो ज्योति उर्फ काली ने पूछताछ में बताया है कि जो बच्चे बरामद किए गए हैं उनमें से 2 ललिता और 2 रिंकू के हैं। ललिता की शादी बाबूलाल उर्फ सोमराज जाट निवासी लापुरा, सवाई माधोपुर, राजस्थान और रिंकू की शादी देशराज निवासी सीकर से 4 माह पूर्व ही हुई थी। फरार होने का मौका नहीं मिलने के कारण दोनों ससुराल में ही हैं। जब पुलिस ने इन दोनों लड़कियों के पुराने पतियों को ढूंढकर पूछताछ की तो वे बोले कि वे वर्षों पूर्व छोड़कर चली गई थीं। 
 
इस बीच पप्पू जाट नाम का एक दलाल भी सामने आया है। इसी दलाल के माध्यम से शादी तय होती थी। पप्पू दलाल के मुताबिक शादी की रकम तय होने के बाद वर-वधू पक्ष नोटरी पर लिखा-पढ़ी कर लेते थे। इस दलाल के माध्यम से ये रैकेट अनेक स्थानों तक फैला है। पुलिस इसकी जड़ तक जाने के प्रयास में लगी हुई। अब पुलिस ने उन लोगों को भी अलर्ट कर दिया है जिन्होंने रुपए देकर शादी की थी। 
 
सनद रहे कि अपराध की दुनिया में हरियाणा की महिलाएं भी कमतर नहीं हैं। यहां भी बीते समय में एक ऐसी महिला अपराधी को पुलिस ने पकड़ा था, जो स्मैक बेचती थी। इनके अलावा भी अपराध की इस दुनिया में अनेक ऐसी महिलाएं हैं, जो बड़े-बड़े सेक्स रैकेट चलाती हैं। इस तरह की महिलाएं पैसों के लिए अपने संपर्क में आने वाली दूसरी युवतियों को भी उसी नरक में धकेल देती हैं। वजह चाहे जो भी हो, ऐसे अपराधों में संलिप्त महिलाएं दबंग, निडर और आक्रामक प्रवृत्ति की होती हैं। 
 
ये तो रहे देश में 'छोटी मुंबई' के नाम से पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश के इंदौर शहर व हरियाणा की महिलाओं के कुछ कारनामे। अब आपको ले चलते हैं देश की मायानगरी मुंबई। यहां हम सबसे पहले माफिया डॉन दाऊद इब्राहीम की बहन हसीना पारकर के अपराध जगत की कहानी को समझते हैं। 
 
ये सब भली-भांति जानते हैं कि दाऊद के भारत से विदेश भाग जाने के कुछ साल तक तो खुद उसने स्वयं यहां के आपराधिक कारोबार पर नियंत्रण रखा लेकिन मुंबई बम धमाकों में प्रमुख अभियुक्त करार दिए जाने के बाद उस पर पुलिस की चौकस निगाहें रहने और प्रतिद्वंद्वी गिरोहों से भी बढ़ती तनातनी के कारण दाऊद ने अपनी गैंग की यहां की गतिविधियों पर नियंत्रण रखना छोड़ दिया। इसके बाद से ही मुंबई समेत आसपास के माफिया कारोबार पर उसकी बहन हसीना पारकर ने कब्जा जमा लिया। 
 
ये बात दीगर है कि पुलिस को हसीना की इन सब गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद वह पुख्ता सबूतों के अभाव में उस पर हाथ नहीं डाल सकी। सबूतों के अभाव में पुलिस हसीना पर शिकंजा नहीं कस सकी। मुंबई के ही अरुण गवली के बारे में सब जानते हैं। अरुण के संबंध में भी खबरें यही हैं कि जब वह अपने आपराधिक मामलों को लेकर जेल में बंद था तब उसके गिरोह का संचालन उसकी पत्नी आशा गवली ही किया करती थी। 
 
माफिया सरगना अश्विन नाइक का मामला भी कुछ इसी तरह का है। उसके भी जेल में बंद होने के दौरान गिरोह की कमान उसकी पत्नी नीता नाइक के हाथों में होती थी, हालांकि बाद में नीता ने राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए शिवसेना का दामन थाम लिया था और मुंबई से वह नगर सेविका भी चुनी गई लेकिन नीता के चरित्र पर शक होने के कारण अश्विन ने उसकी हत्या करवा दी। 
 
अब ठाणे की तरफ रुख करते हैं। ठाणे के उपनगरीय इलाकों में सुरेश मंचेकर कभी आतंक का पर्याय हुआ करता था। सुरेश की होटल व्यवसायियों और भवन निर्माताओं के बीच जबरदस्त दहशत थी। हफ्तावसूली और सुपारी लेकर हत्याएं करवाना उसका मुख्य काम था। न केवल मुंबई बल्कि गोआ, हैदराबाद और मध्यप्रदेश में भी उसका जाल फैला था। सुरेश ने इन सभी जगहों पर अकूत संपत्ति भी बनाई। बताते हैं कि सुरेश जब मुंबई में नहीं होता था तो उसके गिरोह की बागडोर उसकी बूढ़ी मां लक्ष्मी और पत्नी सुप्रिया के हाथों में ही हुआ करती थी। 
 
मोनिका बेदी की कहानी भी इन महिला अपराधियों से जुदा नहीं थी। मोनिका जब बॉलीवुड में काम पाने के लिए संघर्ष कर रही थी और उसे कोई निर्माता घास नहीं डाल रहा था, तब अबू सलेम ने उसकी मदद की थी। अबू के धमकाने पर मोनिका को एक नहीं, कई फिल्मों में काम मिला था। अबू सलेम के इस एहसान से मोनिका इस कदर दब गई कि बिना आगे-पीछे सोचे वह अबू के हर काम में उसका साथ देने लगी। धीरे-धीरे वह कब आपराधिक दुनिया में प्रवेश कर गई, उसे कुछ पता ही नहीं चला। 
 
ब्यूटीशियन का काम करने वाली रुबीना का भी आपराधिक करियर खासा रोचक है। रुबीना को दौलत और रुतबे की खासी चाह थी। इसी के चलते वह छोटा शकील गिरोह से जुड़ गई थी। छोटा शकील गिरोह में शामिल होने के बाद वह न सिर्फ उसका समूचा आर्थिक कारोबार संभालती थी बल्कि जेल में बंद गिरोह के सदस्यों की मदद करने का काम भी करती थी। 
छोटा शकील के गिरोह में ही एक और महिला थी शमीम ताहिर मिर्जा बेग उर्फ पौल, जो हफ्तावसूली रैकेट के लिए इस गिरोह में अहम भूमिका निभाती थी। वह गिरोह के सरगना छोटा शकील को हफ्तावसूली के संभावित शिकार के बारे में भी अहम जानकारी मुहैया कराती थी। इसके अलावा वह हफ्तावसूली की रकम को हवाला के जरिए छोटा शकील के खाते में जमा कराने का काम भी करती थी। 
 
बता दें कि पिछले कुछ सालों में आपराधिक गतिविधियों में महिलाओं का ग्राफ बड़ी तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह यह भी है कि महिलाएं अपने महंगे शौकों पर होने वाले खर्च की भरपाई के लिए इस तरह के शॉर्टकट अपनाने लगी हैं। कारण जो भी हो लेकिन यह रास्ता उनके लिए न केवल जिंदगी को तबाह कर देने वाला है बल्कि उनकी जान को भी जोखिम में डालने वाला है। 
 
आजकल महिलाओं को अपने आपराधिक गिरोह से जोड़ने में माफिया सरगनाओं की भी खासी रुचि है। इन माफियाओं को महिलाओं को जोड़ने का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि महिलाओं पर जल्दी से कोई संदेह नहीं करता है और वे आसानी से काम को अंजाम दे देती हैं। इस तरह की अनेक महिलाएं हैं, जो अलग-अलग माफिया गिरोहों के लिए हथियार सप्लाई करने से लेकर अहम जानकारी जुटाने तक के काम में जुटी हैं। 
 
ऐसी भी अनेक महिलाएं हैं, जो अलग से अपना आपराधिक कारोबार चला रही हैं। इस तरह के कारोबार के आरोप में फरार महिला अपराधियों में अंजलि माकन, शोभा अय्यर, शबाना मेमन, रेशमा मेमन, समीरा जुमानी के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। शबाना और रेशमा मुंबई में हुए बम विस्फोट कांड के आरोपी अयूब मेमन व टाइगर मेमन की बीवी हैं। समीरा जुमानी पासपोर्ट रैकेट में अभियुक्त है। अंजलि माकन एक बैंक से डेढ़ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी कर फरार है। शोभा अय्यर एक प्लेसमेंट एजेंसी चलाती थी और लोगों को रोजगार दिलाने के नाम पर उसने खासी दौलत बटोरी। 
 
इधर आंकड़ों की नजर से भी देखें तो अपराध जगत में अपराधी महिलाओं की संख्या कम नहीं है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु और तमाम सारे महानगरों की अपेक्षा छोटे-छोटे शहरों में भी अब महिलाएं तेजी से अपराध जगत में पैर पसारने लगी हैं। हालांकि महाराष्ट्र ने खासकर मुंबई ने महिला अपराध जगत में अपना वर्चस्व साबित किया है लेकिन बीते कुछ सालों में छोटे शहरों की महिलाओं ने भी खासा कमाल दिखाया है। 
 
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के कुछ पुराने आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो महाराष्ट्र की सर्वाधिक 90,884 महिलाओं को विभिन्न अपराधों के तहत गिरफ्तार किया गया। महिला अपराध में महाराष्ट्र के बाद आंध्रप्रदेश का नंबर रहा है। आंध्र में बीते सालों में 57,406 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मध्यप्रदेश का नंबर आता है, जहां 49,333 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया, हालांकि गुजरात महिला अपराधों के मामले में कुछ राहत देता है। इस मामले में यह राज्य चौथे नंबर पर था। 
 
अपराध जगत में शामिल इन महिलाओं ने देश की पुलिस ही नहीं, बल्कि इंटरपोल तक को परेशान कर रखा है। भारत की ऐसी अनेक महिला डॉन हैं जिनको पकड़ने के लिए इंटरपोल ने दुनियाभर में नोटिस जारी किए हुए हैं। इनके खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और अपराध के कई संगीन मामले दर्ज हैं। 
 
मतलब साफ है कि अब अपराध की दुनिया को भी महिलाएं पुरुषों का वर्चस्व वाला क्षेत्र नहीं रहने देना चाहती हैं। बहरहाल, नारी जगत का अपराध में पैर पसारना बड़े ही चिंता का सबब बनते जा रहा है। वक्त रहते शासन-प्रशासन व हमारे नीति-निर्माताओं ने ध्यान नहीं दिया तो यह स्थिति भयावह होकर भारतीय समाज के लिए घातक साबित होगी। मुसीबत खड़ी कर देगी।

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