Festival Posters

Jain pilgrimage Sammed Shikhar: लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई

नवीन जैन
गुरुवार, 5 जनवरी 2023 (18:10 IST)
केंद्र और झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर जी के मामले को आखिर मूंछों का सवाल क्यों बना रखा है? इतिहास में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता कि जैन समाज के किसी भी पंथ ने कभी किसी हिंसक भावना या अराजकता से काम लिया हो, लेकिन उक्त सरकारें हैं कि वे अभी तक संपूर्ण जैन समाज के सब्र का इम्तहान ले रही हैं और जिसके चलते पानी सर के ऊपर से जा रहा है।
 
हाल में राजस्थान के सांगानेर से बहुत विचलित करने वाली खबर आई कि झारखंड सरकार के सम्मेद शिखर तीर्थराज को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन मुनि सुज्ञेय सागरजी ने अन्न-जल त्यागते हुए देह तक त्याग दी। इस खबर से क्षुब्ध होकर लगभग पूरे देश में जैन समाज के सभी पंथों ने कंधे से कंधा मिलाकर घंटों शांति प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन प्रदर्शनों में स्थानीय सांसद, विधायक और पार्षद तक अपनी राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर शामिल हो गए हैं। मतलब यह कि समाज और जनप्रतिनिधि ही सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ है तब उक्त दोनों सरकारें संपूर्ण जैन समाज के सब्र का और कितना इम्तहान लेंगी।
 
सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने का मुख्य अभिप्राय यह भी हो सकता है कि आर्थिक रूप से लुंज-पुंज हो चुकी झारखंड सरकार की आमदनी में थोड़ी बहुत वृद्धि हो। उचित है कि उक्त राज्य के अलावा अन्य प्रदेश भी अपने विकास के लिए पैसा जुटाने का प्रयास करने को लेकर कटिबद्ध होते हैं, लेकिन आखिर किस शर्त पर? जब कोई भी हिली एरिया पिकनिक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है, तो जाहिराना तौर पर वहां अनेक अनैतिक कार्य हो सकते हैं, जैसे शराब खोरी, मांसाहार और अन्य मटर गश्ती जबकि जैन समाज मैं तो कटु वचन तक को भी हिंसक प्रवृत्ति माना गया है। देश में आहार की स्वतंत्रता सभी को है, लेकिन तमाम तीर्थ स्थलों पर यह कृत्य वर्जित है।
 
याद रखा जाना चाहिए कि तीर्थराज संवेद शिखर जैन समाज का ऐसा पुनीत, पावन और पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां से जैन समाज के 24 में से 20 तीर्थंकर मोक्ष गमन कर गए थे। मोक्ष की इसी महिमा के कारण नामों की आधुनिक प्रथा के अंतर्गत बेटे का नाम मोक्ष और बेटी का नाम मोक्षा तक रखा जाने लगा है। उधर, सदियों से 24 तीर्थंकर के नाम पर नाम आज भी रखे ही जाते हैं।
पता हो कि इस समाज ने न सिर्फ साहूकार और व्यवसाही ही नहीं दिए हैं, बल्कि नामवर नेता, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, लेखक, कवि, पत्रकार, समाज सुधारक, संत, महात्मा तक दिए हैं। इसीलिए इस समाज के लोगों के प्रति देश में एक विशेष प्रकार का अनुराग देखा जाता है। मतलब यह नहीं अन्य समाज के लोग कम खुदा होते हैं, लेकिन यहां एक संदर्भ विशेष की बात हो रही है। विडंबना है कि जो मीडिया हाउसेस राजनीति और समाज के ओपिनियन मेकर होने का दम भरते नहीं थकते, वे उक्त मामले में अभी तक तो सिर्फ खानापूर्ति करके चुप बैठे हैं, जबकि कई मीडिया घरानों के संचालक जैन समाज से ही आते है।
लगता है उक्त दोनों सरकारें अपने निर्णय को वापस लेने के मूड में फिलहाल तो नहीं है ,जबकि वे सबसे पहले जैन समाज के साथ सम्पूर्ण समाज में शान्ति बनाए रखने के प्रति वचन बद्ध हैं। यदि उक्त तुगलकी फैसला वापस नहीं लिया गया, तो मुमकिन है अन्य शान्ति प्रिय समाज भी इस अति संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर जैन समाज के साथ खड़े हो जाएं। वैसे भी कई बड़े मुस्लिम नेताओं ने जैन समाज के समर्थन में सार्वजनिक बयान दिए है। उन्हें देना ही था, क्योंकि वे जानते हैं कि कोई भी मुस्लिम काबा में जाकर गुलछर्रे नहीं उड़ा सकता। तमाम बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों पर भी यही तर्क लागू होता है।
 
बेहतर होगा कि उक्त दोनों सरकारें अपने इस मनमाने फैसले को वापस लेकर सबूत दें कि वे किसी भी समाज के इतने बड़े तीर्थ पर एक तरह की पर्यटन फैक्ट्री खोलकर देश को भटकाव के रास्ते पर ले जाने की खतरनाक कोशिश नहीं करेंगी। वरना यह भी हो सकता है कि चिंगारी बनी समस्या जल्दी ही शोला बन जाए और कहने की नौबत आ जाए कि लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई। (यह लेखक के अपने विचार हैं)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Fat loss: शरीर से एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए अपनाएं ये देसी ड्रिंक्स, कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

सभी देखें

नवीनतम

आजादी पर एक बेहतरीन कविता: गण और तंत्र के बीच

Childrens Day Essay 2025: चाचा नेहरू का जन्मदिन: बाल दिवस पर निबंध

वंदे मातरम् : राष्ट्र की आत्मा और हर भारतीय का गौरवगान! (विवादों से परे, जानें असली अर्थ)

Money Remedy: घर के धन में होगी बढ़ोतरी, बना लो धन की पोटली और रख दो तिजोरी में

कमसिन लड़कियों की भूख, ब्रिटेन के एक राजकुमार के पतन की कहानी

अगला लेख