हमारी संवेदना की कसौटी है केरल की राष्ट्रीय त्रासदी

Webdunia
-रामचन्द्र राही
 
 
भारत के सबसे खूबसूरत भू-भागों में एक केरल आज बाढ़ की भयंकर त्रासदी झेल रहा है। बच्चे, बूढ़े, औरतें, जवान सभी जलप्रलय की स्थिति में अपनी आंखों से अपनी तबाही देख रहे हैं और मानसिक तथा शारीरिक यातनाएं झेलने को मजबूर हुए हैं।
 
केरल भारत का सबसे पहला पूर्णत: साक्षर प्रदेश है। बौद्धिक रूप से देश का अव्वल प्रदेश भी है। देश के प्रशासन में केरल की प्रतिभा का व्यापक योगदान है। विचारवान और व्यवस्थित जीवन-दृष्टि रखने और जीने वालों का प्रदेश है। लेकिन अनुपम मिश्र के शब्दों में कहूं तो केरल का तैरने वाला समाज डूब रहा है! क्या इसके लिए जिम्मेदार है अकेला केरल या हम सब इस तबाही को आमंत्रित करने वालों में शामिल हैं?
 
महात्मा गांधी ने कहा था कि इस धरती पर जीने वालों में सबकी भूख मिटाने की इसके पास क्षमता है, लेकिन एक लोभी के लोभ को पूरा कर पाना इसके लिए संभव नहीं है। क्या हम सब भयंकर रूप से लोभी नहीं हो चुके हैं? ऐशो-आराम के लोभी, अपना वर्चस्व अपने से कमजोरों पर लादने के लोभी, प्रकृति ने जितनी उदारता से हमें दिया है, उतनी ही बल्कि उससे भी अधिक कृपणता के साथ प्रकृति के अकूत खजानों को लूटकर अपने कब्जे में लेने के लोभी, अक्षय-प्रकृति का क्षय करते हुए विकास की तथाकथित आखिरी मंजिल तक सबसे पहले पहुंचने की अंतहीन इच्छा के लोभी जिसे 'हिन्द स्वराज्य' में बापू ने 'पागल अंधी दौड़' कहा था, उस तथाकथित विकास की मंजिल के शिखर पर जल्दी-से-जल्दी पहुंचने के लोभी!
 
और लोभवश हमने हरे-भरे जंगलों को काट डाला, धरती के गर्भ में लाखों-करोड़ों वर्षों में निर्मित एवं संचित पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने वाले खनिज पदार्थों को खोदकर निकाल लिया और धरती के गर्भ को खोखला कर डाला। हमारी और जीव-जंतुओं सहित पेड़-पौधों व सबकी प्यास बुझाने वाली कल-कल करती निरंतर बहती निर्मल जलधाराओं, नदियों व झीलों को अपने कब्जे में बनाए रखने के लिए उन्हें बड़े-बड़े बांधों से बाधित कर डाला। और-तो-और, नदियों-झीलों व तालाबों को सुखाकर उन्हें निर्वासित कर दिया और वहां अपने वैभव के विराट का सृजन कर डाला। आज वही प्रकृति अपने रौद्र रूप में आकर हमें सबक सिखा रही है। कह रही है और गंभीर चेतावनी के साथ चेता रही है कि हमारे सहज जीवन-प्रवाह को बाधित किए बिना हमारे सहयोग और साहचर्य के साथ जीना फिर से शुरू करो अन्यथा सृष्टि-संहार के भागी बनोगे।
 
केरल की त्रासदी मात्र केरल की नहीं, राष्ट्रीय त्रासदी है, जो हमें भविष्य के लिए तो चेता ही रही है, वर्तमान के लिए भी उदात्त चित्त से, मानवीय संवेदना के साथ, पीड़ित केरलवासियों को सहायता पहुंचाने के लिए प्रेरित कर रही है। अपने आपको तमाम तरह की क्षुद्र सीमाओं से मुक्त‍ करके विराट मानवीय भूमिका में पीड़ितों की पीड़ा महसूस करते हुए उनकी मदद में तन-मन-धन एवं हृदयभाव से उनके साथ खड़े होने का आवाहन कर रही है। यह कसौटी की घड़ी है हमारी मानवीय संवेदना की! (सप्रेस)
 
(रामचन्द्र राही वरिष्ठ गांधी विचारक व केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष हैं।)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मैंगो फालूदा आइसक्रीम रेसिपी: घर पर बनाएं स्वादिष्ट आम फालूदा

युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?

4:3 डाइट: हफ्ते में सिर्फ 3 दिन डाइटिंग करके घटाएं वजन, जानिए कैसे करता है ये वेट लॉस प्लान कमाल

गर्मियों में घर पर बनाएं ठंडी और कूल वाटरमेलन आइसक्रीम, जानिए आसान रेसिपी

खीरे के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मिलेगा बेदाग निखार, हर कोई करेगा तारीफ

सभी देखें

नवीनतम

कच्चा या बॉयल्ड बीटरूट, आपकी सेहत के लिए कौन सा है ज्यादा सेहतमंद?

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

घर पर बनाएं कीवी आइसक्रीम, जानिए इस सुपरफ्रूट के 6 हेल्दी फायदे

कितनी तरह की होती है चाय? जानिए ये 6 प्रकार की चाय और इनके जबरदस्त हेल्थ बेनिफिट्स

गरम चाय की प्याली भर भी इन 6 तरह के लोगों के लिए बन सकती है जहर, जानिए वजह

अगला लेख