Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

lock down के बाद :बदली-बदली दुनिया है यहां, बदले-बदले सरकार नजर आते हैं…

हमें फॉलो करें lock down के बाद :बदली-बदली दुनिया है यहां, बदले-बदले सरकार नजर आते हैं…
webdunia

डॉ. छाया मंगल मिश्र

शाम को तय था कि सुबह राज्याभिषेक होना है, लेकिन सर्वशक्तिमान प्रभु को भी मानवीय लीला करने के कारण वनवास हुआ। कवि ने लिखा कि “न जाने जानकीनाथ प्रभाते किम् भविष्यति”। अर्थात स्वयं जानकीनाथ को भी नहीं मालूम था कि अगली सुबह क्या होगा? वेलेंटाइन की मस्ती में डूबी दुनिया व बसंती बयार का आनंद ले रहे भारत को नहीं मालूम था कि बसंत बीतते ही गर्मी के करेले पर कोरोना का नीम चढ़ जाएगा।
 
अत्यंत सुंदर शूर्पणखा जैसे पंचवटी में देखते ही देखते राक्षसी बन गई थी वैसे ही कोरोना ने समाज के स्वरूप को बदल कर रख दिया है। जो मनुष्य समाज साथ रहने और हिल-मिल कर चलने के दौर में ‘साथी हाथ बढ़ाना’ के गीत गाता था वही अब ‘एकला चलो रे’ गुनगुनाते चलने के लिए मजबूर हो चुका है। कोरोना काल के बाद यह तय है कि मानव समाज के प्रत्येक व्यवहार में दिन और रात का अंतर देखने को मिलेगा।आइए नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ संभावित परिवर्तनों पर-
 
1- ‘परिवर्तन जीवन का सबलतम पुत्र है’। पुराना नष्ट होता है, समय परिवर्तित होता है और खंडहरों&; में से नया जीवन उदित होता है। परिवर्तन का चक्र किसी न किसी रूप में घूमता ही रहता है। ‘संसार शून्य है और परिवर्तन उस शून्य की चाल’। आज कोरोना की इस कठोर क्रूर नियति के सामने हम सभी इन सभी बातों के साक्षी बने हैं यही जीवन का बड़ा सत्य है।
2- ‘असाधु:साधुतामेति सधुर्भवति दारुण:। अरिश्च मित्रं भवति मित्रं चापि प्रदुष्यति।’-वेदव्यास
 
(महाभारत-शांतिपर्व, 80/8 )
 
बुरा मनुष्य भला और भला मनुष्य बुरा हो जाया करता है। शत्रु मित्र व मित्र भी बुरा हो जाता है।
 
 हर व्यक्ति दूसरे से हर दृष्टि से शारीरिक दूरी बना कर रखना पसंद करेगा। लोग ऊंचा बोलने व सुनने के अभ्यस्त हो जाएंगे। फुसफुसाहट व कानाफूसी बीते दिनों की बात हो जाएगी। और दीवारों के कानों को आसानी से दूसरे की बातें सुनाई दे जाएगी। खुद को ‘कोरोना फ्री’और दूसरों को “कोरोना केरियर’समझा जाएगा।
3- घर हो या ऑफिस सभी दहशत में भरे होंगे जुम्मे के जुम्मे नहाने वाले दिन में दो बार नहाएंगे व कई बार हाथ भी धोएंगे। जिस देश में सरकार लोगों को भोजन के पूर्व व शौच के बाद हाथ धोना सिखाते सिखाते थक गई उस देश में एक छोटे से वायरस ने इस मिशन को आसान कर दिया। क्योंकि परिवर्तन ही सृष्टि है।जीवन है। ‘कभी दिन बड़े कभी रातें बड़ी’ का बदलाव इस सृष्टि की विशेषता है।
4- दफ्तर, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, धर्मस्थल आदि सभी जगह चिंता काम की कम व सेहत की ज्यादा रहेगी। लोग अपने आराध्य से धन-दौलत की बजाय आरोग्य की प्रार्थना करेंगे। विद्यार्थी समझेंगे की ज्ञान की बजाय कोरोना तो नहीं बंट रहा। दफ्तरों में हर कागज शंका का कारण बन जाएगा फिर वो चाहे ‘नोट’ हों या ‘नोट-शीट’। मैथिलीशरण गुप्त ने ठीक ही कहा है-
 
-‘है कर्म का दोष अथवा सब समय की बात है। होता कभी दिन है, कभी होती अंधेरी रात है।’
5- भ्रष्ट लोग लोकायुक्त के रंगे हुए नोटों से कम व कोरोना से संक्रमित नोटों से ज्यादा भयग्रस्त होंगें। पान, तम्बाकू, गुटका चबाने वाले हिकारत से देखे जाएंगे। और नेता जी सभाओं के नाम पर रैली की भीड़ भी इकठ्ठी नहीं कर पाएंगे। पूजा, नमाज, प्रेयर, अरदास घर पर करो या धर्मस्थल पर एक जैसा खाली-खाली माहौल होगा।
 
एक लोकोक्ति याद आ रही है- ‘ इक लख पूत, सवा लख नाती, ता रावण घर दिया न बाती’
6- शवयात्रा व शादी में संख्या का बंधन होने से उन लोगों का मापदंड नष्ट हो जाएगा जो इनमें एकत्रित भीड़ को अपना स्टेटस सिंबोल बताते फिरते हैं। उठावने लगभग बंद हो जाएंगे, बिना प्रयास के मृत्यु भोज की समाप्ति भी हो ही जाएगी। हार बार अजब रंग और अजब रूप दिखाने की प्रकृति की कला ही परिवर्तन जो है। यह सामाजिक सुधार के साथ साथ बहुत अच्छी मजबूरी भी है।
7- शादी के खर्चे कम हो जाने से कई बेटियों के बाप कर्जदार होने से बच जाएंगे। बशर्ते की इसके वसूली के कोई दूसरे रास्ते न निकाल लिए जाएं। शादी में बुलावा नहीं आएगा तो सबको पता चल जाएगा कि जिसे हम अपना खास समझते थे उसके खास में हम शामिल हैं या नहीं। जिसे कल तक ज्ञान समझा जाता था वही आज अज्ञान की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है। वही आज सार हीन हो चला है।
7- धर्मप्राण व उत्सव प्रधान देश होने के कारण देश की अर्थव्यवस्था भी धर्म व उत्सवों से बड़े पैमानों पर प्रभावित होगी सीजन के धंधे नहीं चलेंगे, और सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक आयोजन बड़े पैमानों पर नहीं होंगे तो कईयों के व्यापार बैठ जाएंगे, नौकरियां छूट जाएंगी-
 
‘जिनके हंगामों से थे आबाद वीराने कभी, शहर उनके मिट गए आबादियां वन हो गईं।’।
8- सरकार की आय कम हो जाएगी और खर्चे बढ़ जाएंगे। ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैय्या’ की हालत में सरकार नए नए टेक्स लगाएगी। लोगों को भी ऑनलाईन व्यापार के तथा होम सर्विस के रस्ते खुलेंगे। इतिहास घटनाओं के रूप में अपनी पुनरावृत्ति नहीं करता। परिवर्तन का सत्य ही इतिहास का तत्व है।परन्तु परिवर्तन की इस कड़ी में अपने अस्तित्व की रक्षा और विकास के लिए व्यक्ति व समाज का निरंतर प्रयत्न आवश्यक है।
9- हम अपने अनावश्यक खर्चों में तुरंत कटौती करना सीख गए हैं। सादगी से जीना कुछ हद तक अपनाया है।अनावश्यक आना-जाना,घुमने फिरने की रोक हमें जाने अनजाने प्रकृति संरक्षण की ओर ले गई है। अरबों खरबों रुपये खर्च करने के बाद भी जो पर्यावरण संरक्षण न हो सका वह इस कोरोना के खौफ ने कर दिखाया। अनावश्यक शॉपिंग के साथ कई बुरी आदतों में नियंत्रण व छुटकारा मिला। अंतर्मुखी जीवन को अपनाया। अपनों का महत्व समझ में आया।
10- ‘लोग क्या कहेंगे’ की असलियत भी खुली। ‘स्व’का भाव जागृत हुआ। भविष्य की चिंता व संग्रह का महत्व समझ आया। सभी अपनी हैसियत व औकात से परिचित हुए सो अब आगे की राह आसान होगी। अब सभी को ‘ऊपर शेरवानी -अंदर परेशानी' से कोसों दूर रहना सीखना होगा। कोरी इच्छाओं को त्याग कर हकीकत की दुनिया में जीना होगा। जो कठिन तो होगा पर नामुमकिन नहीं।
जब संस्कार और अनुकरण की आवश्यकता समाज में मान ली गई है तब हम परिस्थिति के अनुसार बदलने में क्यों हिचकें ? मेरा ऐसा विश्वास है कि प्रसन्नता से परिस्थिति को स्वीकार कर जीवन यात्रा को सरल बनाया जा सकता है। समझना ही होगा हमें कि परिवर्तन प्रकृति के अविकल क्रम के प्राण है, निगमागम के ज्ञान का मर्म है, सृष्टि के सौन्दर्य का हीर है, विश्व के आश्चर्यों का बीज भी यही है।
सरकार ने पिछले दो महीने से अधिक के समय में हर तरीके से हम सभी को सावधान, सुरक्षित व सतर्क रहने की ट्रेनिंग दे दी है।पूरी दुनिया में भारत के प्रयासों की सराहना भी की है। अब यह हम पर है कि हम नवजीवन के इस सूर्य को किस प्रकार नमस्कार करते हैं। सरकार सबको रोटी भले न खिला सके लेकिन यह तो सबको सिखा ही दिया है कि रोटी बनाई कैसे जाती है। हर पुरानी व्यवस्था नई व्यवस्था को स्थान देती हुई बदल जाती है ये एक पूर्ण सत्य है। 31 मई को लॉकडाउन शायद इसीलिए ख़त्म हुआ हो कि हम ‘दो जून की रोटी’ के लिए नए तरीके से 1 जून से काम शुरू करें...
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Weekly Horoscope June 2020 : क्या लाया है जून माह का पहला सप्ताह आपके लिए (पढ़ें 12 राशियां)