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अनलॉक शहर,बदलता मौसम, कमजोर कोरोना लहर, ध्यान रखें हर खतरे से रहें बचकर

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सुरभि भटेवरा

, सोमवार, 21 जून 2021 (12:14 IST)
कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी जिसने दुनिया के बुनियादी ढ़ांचे को ही हिला कर रख दिया। पहली लहर में तो दुनिया ने इस बीमारी को समझने की कोशिश ही की थी कि कोरोना की दूसरी लहर ने समूचे विश्व का इंतकाल ही ले लिया। धीरे- धीरे कोरोना वायरस का आंकड़ा नीचे गिर रहा है लेकिन देश के तमाम कोनों से जो तस्वीरें आ रही है वह एक बार फिर चिंता  के सागर में डूबने को मजबूर कर रही है। लोग ब्रेफिक होकर सड़कों पर घुम रहे हैं। फिर से वहीं गलतियों को दोहराया जा रहा है जिससे सीख लेने की जरूरत हैं। मास्क का लगातार उपयोग करना है, सोशल डिस्टेंसिंग बनाएं रखना जरूरी है, जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलना है। 

शहर के अनलाॅक होते ही युवाओं में पार्टियों का जोश चढ़ा है। बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हो रहे हैं। कोरोना काल में इलाज के लिए भटकते, बिलखते रहे लोगों के आंसू अभी तो पूरी तरह सूखे भी नहीं हैं। पहले वैज्ञानिकों और अन्य जानकारों के मुताबिक दावा किया जा रहा था कि कोरोनाकाल भीषण गर्मी में खत्म हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद ठंड की संभावना जताई लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बारिश में बचने की हिदायत दी जा रही है। भीगने पर बहुत जल्द जुकाम और खांसी हो सकती है। पानी गिरने के बाद मौसम अक्सर ठंडा हो जाता है। लेकिन मार्च 2020 के बाद से जब भी किसी को बुखार आया है उन्हें कोविड टेस्ट जांच की ही राय दी गई। बुखार पहले भी आता था लेकिन अब बुखार आना भी किसी खतरे से कम नहीं है।

कोरोना की दूसरी लहर जैसे - जैसे कम हो रही है, अक्सर लोग इस तरह बात कर रहे हैं। जैसे किसी की मृत्यु के बाद अक्सर भिन्न - भिन्न तरह की बातें की जाती है। ‘दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक थी’, बहुत लोग मरें हैं, अपनों को कंधा तक देने नहीं जा सके, तो किसी का कहना है कि,  ‘‘सरकार भी क्या करें अब लोग नहीं मानते हैं तो,’’। दूसरी लहर का खतरा तो कम हो गया है लेकिन विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर की संभावना भी जता दी गई है। अगले 2 से 4 हफ्तों में महाराष्ट्र में तीसरी लहर की संभावना है। कहा जा रहा है कि यह पहली दो लहर से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकती है अगर इसी तरह कोविड-19 नियमों का मखौला उड़ाया गया तो। वायरस बहुत तेजी से म्यूटेंट हो रहा है, दूसरी लहर के अंत में समझा गया कि डेल्टा वेरिएंट की वजह से दूसरी लहर इतनी खतरनाक रही है। वहीं अब डेल्टा प्लस वेरिएंट भी आ चुका है, भोपाल क्षेत्र में इसका पहला मामला सामने आाया। विशेषज्ञों द्वारा आगह किया जा रहा है कि तीसरी लहर भी आ सकती है।

वैक्सीनेशन के बाद लोगों को लग रहा है कि उन्हें कुछ नहीं होगा लेकिन जनता को इस तरह के मुगालते नहीं पालना चाहिए। क्योंकि तीसरी लहर पर वैक्सीन से शरीर में पैदा हुई एंटीबाॅडी लड़ने में सक्षम है या नहीं इस पर शोध किया जा रहा है। डेल्टा वेरिएंट पर यह वैक्सीनेशन कारगर रहा है। जिस वजह से कई लोग पहले वैक्सीन डोज के बाद भी रिकवर हो सके। और स्थिति बहुत अधिक गंभीर नहीं हुई।

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 50 फीसदी लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अगर यही आलम रहता है तो कोरोना की लहर कभी खत्म ही नहीं हो। देखा जाएं तो तीसरी लहर के संकेत अनलाॅक के बाद से ही नज़र आने लगे हैं। लोग ही तीसरी लहर को न्यौता दे रहे हैं। अगर इसी तरह कोविड-19 के नियमों को अनदेखा किया जाने लगा तो फ्रंटलाइन वर्कर्स, सरकार द्वारा अभी तक की गई और की जा रही मेहनत पर पानी फिर सकता है।

बाहर निकलने वाली आम जनता बहुत जल्द मार्च से जून तक की दूसरी लहर के मंजर को भूल गई, अंसख्य परिवार को मिले जीवनभर के दुखों को भूल गई, शमशानों में रिकाॅर्डतोड़ लाइनों को भूल गई। यह एक सोचने वाली बात है कि लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं, इतना बड़ा नुकसान जिसकी भरपाई कभी कोई इंसान नहीं कर सकता है। उसे कैसे भूल सकते हैं? ऐसे कैसे भूल सकते हैं?


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