एक ‘फैन’ की दुर्दशा

मनोज लिमये
बाल्यकाल में सिनेमा देखने जाना हमारे एक बेहद लुभावना आयोजन होता था। ड्रेस सर्कल में ठोस लकड़ी की (खटमल युक्त) बेंचों पर बैठ कर मूंगफलियों के छिलके इधर-उधर फेंक कर सिनेमा का पूरा लुत्फ उठाए जाने की परंपरा थी। गाहे-बगाहे आज भी बॉलीवुड सिनेमा का फैन हूं, पर अब अधिक कीमत में भी वो आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती जो पूर्ववत थी।
 
गत रविवार परम श्रद्धेय मालवी जी, गेहूं का बारीक आटा पिसवाने वाली संवेदनशील क्रिया के दौरान मुझे कुछ बुझे-बुझे से लगे। उनकी यह गति देख मुझ से रहा  नहीं गया और मैंने पूछा 'क्या बात है साब, कल रात पता चला कि आप सपरिवार किंग खान की पिक्चर देखने गए थे... नींद नहीं हुई क्या ठीक से' ? वे  बोले -' ये जनहित याचिका कैसे लगाई जाती है, कुछ जानकारी है आपको' ? प्रश्न के उत्तर में मिले इस यक्ष प्रश्न से मेरी स्थिति उस भारतीय बल्लेबाज की तरह हो गई,  जिसे विदेशी पिच पर समझ नहीं आता है कि वो बैकफुट पर रहे या आगे निकल कर खेले। मैंने दृढ़ता वाला अस्थाई भाव अपनाते हुए कहा 'ये जनहित याचिका  बीच में किधर से आ गई, मैं तो आपसे सिनेमा के विषय में चर्चा कर रहा था।' वे बोले - 'ये मीडिया वालों के खिलाफ याचिका लगाना है साब, पिछले चार दिनों  से करोड़ों की राशि गिनवा-गिनवा कर दिमाग का दही कर दिया इन्होंने और सिनेमा देखो तो बेसिर पैर वाला है बिलकुल।'
 
मैंने अपनी हंसी पर नियंत्रण कर पुछा - 'तो आप मल्टीप्लेक्स से नया वाला सिनेमा देख कर आए हैं। बहुत महंगी टिकिट है आजकल मॉल में 'मैंने शायद उनकी  दुखती रग का राग छेड़ दिया था। वे तल्ख लहजे में बोले- 'करोड़ रुपयों को तो मजाक बना कर रख दिया है साहब। जिस ऐरी-गैरी फिल्म का सुनो, तो बताया  जाता है कि फलानी ने 100 करोड़ की कमाई कर ली और जब व्यक्ति इतने पर भी इनका सिनेमा देखने नहीं गया तो ये 200 करोड़ का जाल फेंककर जनता को  फंसा रहे हैं।' मैंने कहा- 'आप तो समझदार हैं और सिनेमा के जानकार भी हैं। फिर आप इस चक्कर में कैसे फंस गए श्रीमान'? वे बोले - 'दफ्तर में साहब ने कहा,  फिल्म अच्छी है। और घर पर श्रीमती जी ने भी इसकी पुष्टि की थी अब आप ही बताओ, इन दो हाई अथॉरिटी के समर्थन के बाद मेरा सिनेमा देखने जाना तो  बनता ही था न।'
 
मैं उनकी व्यथा समझ रहा था। मैंने कहा "सिनेमा बिल्कुल बकवास था क्या? एकदम जनहित याचिका की बात कर रहे हैं आप तो? वे बोले - 'हाथ में चाकू नहीं  था अन्यथा वहीं पर्दा फाड़ देता कसम से और मेरा गुस्सा सिनेमा से ज्यादा मीडिया पर है।' मैंने कहा - 'आपको कोई गिला–शिकवा है, तो निर्माता-निर्देशक या कलाकारों से होना चाहिए, ये मीडिया क्या करेगा इसमें '? उन्होंने मेरी और ऐसे देखा जैसे मैं प्रथम दफा गांव से शहर आया हूं। वे अपने क्रोध पर नियंत्रण लाते हुए बोले 'जितने प्रकार के समाचार चैनल मैं देखता हूं, वे सारे के सारे इस सिनेमा की कमाई का आंकड़ा ऐसे दिखा रहे थे, जैसे ये सब उसके निजी अकॉउंटेंट हों। मुझे  लगा वाकई, जो सिनेमा 200 करोड़ की कमाई कर रहा है उस पर अपन भी 1000 न्यौछावर कर देते हैं, लेकिन लुट गए साब !' वे अपनी बात समाप्त कर दुःखी मन से आटे की महीनता देखने लगे और मैं प्रसन्न था क्योंकि इस मुफ्त ज्ञान की वजह से मेरे 1000 बच चुके थे।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अगर ठंड में रात को मोजे पहनकर सोते हैं तो जान लें ये सच्चाई

सर्दियों में चाय के शौकीनों के लिए जरूरी जानकारी! दांतों पर पड़ता है ये असर

ठंड में बच्चे के अंगों पर दूध में घिसकर लगाएं ये फल, सर्दी में नहीं होगी परेशानी

सर्दियों में मक्के की रोटियां खाने का है शौक तो इन गलतियों से बचें

Diabetics Snacks : ब्लड शुगर कंट्रोल रखने के लिए ये 6 बेहतरीन स्नैक्स ट्राई करें

सभी देखें

नवीनतम

New Year 2025 : फोटो बूथ से लेकर डांस फ्लोर तक, इन डेकोरेशन आइडियाज से मनाएं घर पर नए साल का जश्न

Winter Fashion : आपके वॉर्डरोब में जरूर होने चाहिए ये ट्रेंडी विंटर स्वेटर, प्रोफेशनल और कैजुअल दोनों लुक में आएंगे काम

2025 की न्यू ईयर पार्टी में दिखें सबसे खास : जानिए परफेक्ट आउटफिट्स और स्टाइल आइडियाज

New Year 2025 Cake Recipe: नए साल का जश्न मनाएं इन स्पेशल केक के साथ, अभी नोट करें रेसिपी

new year celebration cake: सर्दभरे मौसम में न्यू ईयर के आगमन पर बनाएं ये हेल्दी केक

अगला लेख