अपने जीवन की किताब के आप खुद लेखक हैं...!!

तरसेम कौर
हमारी जिंदगी का हर दिन हमें एक नया पाठ पढ़ा कर जाता है। रोज कितने ही किस्से जुड़ते हैं...कुछ भूल जाने वाले और कोई कोई मन और दिमाग पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। कभी हम अपने बीते समय को सोचकर खुश होते हैं, तो कुछ कटु बातें या घटनाएं दिल कचोटती हैं।



जीना तो वर्तमान में ही है और न ही जीवन की वास्तविकता से दूर भागा जा सकता है। समझदारी इसी में ही है कि अपने को व्यस्त रखा जाए ताकि पुरानी दुखी बातें हमारे आज पर हावी न होने पाए और भविष्य अंधकारमय न हो जाए।
 
गौर से देखें... जीवन खुशियों से भरा खजाना है। हर नए दिन का स्वागत मुस्कुराकर और जोश से भरकर करने पर दिन के अंत में जो खुशी और आत्मसंतुष्टि मिलती है, वह नायाब होती है। हैरान होंगे यह सोचकर, कि आप इस दुनिया के सबसे खुश और भाग्यशाली इंसान है।
 
हां...ऐसा कभी कभी जरूर होता है जब उम्मीदों के सभी दरवाजे आप पर बंद हो जाते हैं और विश्वास डगमगाने लगता है, मायूसी और निराशा के बादल छंटने का नाम नहीं लेते हैं। ऐसे समय में केवल धैर्य और सहजता के हथियार ही आपकी ढाल बनते हैं और आशा की हल्की किरण दिखती है। बस उसी किरण को पकड़ कर उजालों को तलाशना शुरू कर दें।
 
बीते समय की दुखी बातों को एक गठरी में बांधकर कहीं छिपा देना ही आज और आने वाले कल के साथ सही इंसाफ होगा। अपने जीवन की किताब के आप खुद ही लेखक हैं ...और कोई नहीं आएगा आपके जीवन की किताब के खाली पन्नों को लिखने और उनमें रंग भरने के लिए...।
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