Dharma Sangrah

एक थी निर्भया....सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला

स्मृति आदित्य
तथ्यों के आइने में दिल्ली गैंग रेप केस और फैसला 

- स्मृति आदित्य  
 
16 दिसंबर 2012 की वह काली रात जिसने राजधानी दिल्ली और देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक जलता सवाल खड़ा कर दिया था कि क्या अपने देश में एक लड़की का अकेली आना जाना इतना बड़ा गुनाह है कि उसे अपनी जान ही गवांनी पड़ जाए? किसी ने उसे दामिनी कहा तो किसी ने उसे निर्भया...अपने नाम के अनुरूप उसने संघर्ष भी किया, चमकने की कोशिश भी की पर बुझ गई और छोड़ गई हमारे सामने सुलगते सवाल.... ढेर सारे सवाल.... 
 
 दिल्ली गैंगरेप के इस दर्दनाक हादसे में निर्भया तो चल बसी पर उसके माता-पिता की आस बंधी थी सुप्रीम कोर्ट से और आज जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए चार दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा तो देश की न्याय प्रणाली पर उनकी आस्था गहरी हुई। फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे। निर्भया की मां के बहते आंसूओं में देश की हर उस मां का दर्द था जिनकी बेटियां ऐसे ही हवस के दरिंदों की शिकार हुई हैं। 
 
क्या कहा कोर्ट ने : सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया। दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे। जिस तरह से अपराध हुआ, ऐसा लगा जैसे इंसानी सभ्यता की नहीं बल्कि किसी अलग दुनिया की कहानी है। सेक्‍स और हिंसा की भूख के चलते इस तरह के जघन्‍यतम अपराध को अंजाम दिया गया। लिहाजा इस फैसले में अपराध की जघन्‍यता को तरजीह देते हुए इन दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है। इस मामले में दोषियों की पृष्‍ठभूमि कोई मायने नहीं रखती। इसमें उम्र, बच्‍चे, बूढ़े मां-बाप होने के आधार पर सजा में कटौती की मांग रियायत की कोई वजह नहीं हो सकती। इस तरह के अपराध की कोई और कसौटी नहीं हो सकती। इस घटना ने समूचे समाज की चेतना को हिला दिया। घटना के वक्‍त नाबालिग समेत सभी दोषी घटनास्‍थल पर मौजूद थे। दिल्‍ली पुलिस की जांच बिल्‍कुल सही थी। पीडिता के बयानों पर संदेह नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्‍पष्‍ट किया कि इन्‍हें फांसी बलात्‍कार के आरोप में नहीं, इनकी नृशंसता की वजह से पीडिता की मौत हो जाने के कारण दी जा रही है। वैज्ञानिक जांच और डीएनए सबूतों से भी पता चलता है कि अपराध को घृणास्पद तरीके से अंजाम दिया गया। 
 
गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगाई थी। इसके बाद तीन जजों की बेंच को केस भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्‍स क्यूरी नियुक्त किए गए थे। 
 
वारदात करने वाले दरिंदे : 
 
राम सिंह : तिहाड़ जेल में आत्महत्या करने वाले दिल्ली गैंगरेप का मुख्य अभियुक्त राम सिंह उस बस का चालक था जिसमें इस सामूहिक बलात्कार को अंजाम दिया गया था। घटना के दो दिन बाद यानी 18 दिसंबर को राम सिंह को गिरफ़्तार किया गया था। राम सिंह को सबसे पहले पकड़ा गया था। राम सिंह का छोटा भाई मुकेश सिंह भी इस केस में अभियुक्त है। राम सिंह अब जिंदा नहीं है। 
 
32 वर्षीय मुकेश सिंह : 
बस का क्‍लीनर था। गैंगरेप के बाद ऑयरन रॉड से दोनों को बुरी तरह से पीटा था। तिहाड़ जेल में बंद है। 
 
24 वर्षीय पवन गुप्‍ता
फल बेचता था। तिहाड़ के जेल नंबर दो में तीन अन्‍य साथियों के साथ कैद है। ग्रेजुएशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। 
 
26 वर्षीय विनय शर्मा 
पेशे से फिटनेस ट्रेनर था। जब इसके पांच अन्‍य साथी रेप कर रहे थे तो यह गाड़ी चला रहा था। उसके बाद इसने मुकेश को गाड़ी चलाने को दी और रेप किया। तिहाड़ में कैद है और यूनिवर्सिटी एक्‍जाम की तैयारी कर रहा है। पिछले साल जेल के भीतर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।  
 
अक्षय ठाकुर (33)
बिहार से ताल्‍लुक रखता है। स्‍कूल की पढ़ाई छोड़कर भागकर दिल्‍ली आया। तिहाड़ की जेल नंबर 2 में कैद है। जेल में इसने अपनी जान के खतरे की आशंका जाहिर की थी, तब से इसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 
 
नाबालिग 
इसी शख्‍स ने निर्भया को बस में चढ़ने का आग्रह किया था। घटना के वक्‍त नाबालिग था। नतीजतन फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेजा गया। दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया। 
 
 
सभी आरोपियों के खिलाफ बलात्‍कार, अपहरण और हत्‍या का मामला दर्ज हुआ। फास्‍ट ट्रैक में मामला चला। 13 सितंबर, 2013 को चार को फांसी की सजा सुनाई गई और नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया। 13 मार्च, 2014 को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा। 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी। 
 
कोई भी सजा निर्भया के साथ हुए बर्बर बलात्कार की तुलना में कम ही है चाहे वह मौत की ही क्यों ना हो। यह सच है कि सजा से दिमाग नहीं बदलता, सजा से सोच नहीं बदलती और सजा से समाज भी नहीं बदलता लेकिन सजा जरूरी है... बहुत जरूरी है इसलिए कि इस सजा से, इस फैसले से  आधी आबादी के उस दर्द में राहत मिली है जो भीतर ही भीतर रिस रहा था। सजा से समाज में न्यायिक व्यवस्था की सार्थकता के प्रति आशा जागी है। हम इस देश के वासी यही तो चाहते हैं कि सजा ऐसी हो कि बरसों बरस तक कोई यह नहीं भूल सके ... एक थी निर्भया। 

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

Lactose Intolerance: दूध पीने के बाद क्या आपको भी होती है दिक्कत? लैक्टोज इनटॉलरेंस के हो सकते हैं लक्षण, जानिए कारण और उपचार

इंदौर में भाजपा के ‘चेहरे पर कालिख’ पोतने के पीछे कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का हाथ, सुमित मिश्रा के आरोप से गरमाई राजनीति

Amla Navami Recipes: इन 5 खास व्यंजनों से मनाएं आंवला नवमी, मिलेगा देवी लक्ष्मी का आशीष

Sahasrabahu Jayanti: कौन थे सहस्रबाहु अर्जुन, उनकी जयंती क्यों मनाई जाती है, जानें जीवन परिचय और योगदान

Chhath Puja Healthy Food: छठ पूजा के बाद खाएं ये 8 पारंपरिक व्यंजन, सेहत को मिलेंगे अनेक फायदे

Chhath Festival Essay: प्रकृति और लोक आस्था की उपासना के महापर्व छठ पर पढ़ें रोचक हिन्दी निबंध

अगला लेख