Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

‘घासीराम कोतवाल’ से ‘अर्ध-सत्‍य’ तक... खुरदुरे चेहरे वाला वो अभि‍नेता जो ‘एक्‍ट‍िंग का स्‍कूल’ ही बन गया

हमें फॉलो करें ‘घासीराम कोतवाल’ से ‘अर्ध-सत्‍य’ तक... खुरदुरे चेहरे वाला वो अभि‍नेता जो ‘एक्‍ट‍िंग का स्‍कूल’ ही बन गया
webdunia

नवीन रांगियाल

(18 अक्‍टूबर को अभिनेता ओमपुरी का जन्‍मदिन है )

आज चॉकलेटी और मॉडल की तरह नजर आने वाले बॉडी ब‍िल्‍डर्स अभिनेताओं का दौर है, लेकिन एक वक्‍त ऐसा था ठीक से औसमत नजर नहीं आने वाले चेहरों को हिंदी सिनेमा में अभि‍नय के लिए जाना जाता था। ओम पुरी एक ऐसा ही नाम थे।

उनका खुरदुरा चेहरा किसी भी लिहाज से हिंदी फिल्मी पर्दे के लिए मुफीद नहीं था। लेकिन इसी खुरदुरे चेहरे को उन्‍होंने अपनी ताकत बना लिया। इसी चेहरे से वे अभिनय और संवेदना का ऐसा मिश्रण बन गए कि सिनेमा में अभि‍नय का पर्याय ही बन गए।

ओम पुरी अपनी फिल्म आक्रोश में खुद को इस तरह साबित करते है कि हिंदी सिनेमा को उनमें एक नया एंग्री यंगमेन नजर आने लगता है। एक ऐसा एंग्री यंग मेन जिसे गुस्से में सांस फुलाने और हाथ-पैर मारने की जरुरत नहीं थी, वो अपनी आंखों, आंखों की पुतलियों और भाव-संवेदनाओं से ही अभिनय करता था। शायद अपनी निजी जिंदगी की परेशानियों को कम करने के लिए ओम पुरी रंगमंच में आए थे, लेकिन फिर फिल्मों के ही होकर रह गए।

हरियाणा के अम्बाला में एक पंजाबी परिवार में पैदा हुए ओम पुरी पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीवीजन संस्थान में स्नातक थे। साल 1973 में वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्र भी रहे, जहां अभिनेता नसीरुद्दीन शाह उनके सहपाठी थे। कम ही लोगों को पता होगा कि उन्हें अपनी पहली नौकरी में सिर्फ पांच रूपये मिलते थे। सात साल की उम्र में चाय की दुकान में काम करने से लेकर भारतीय सिनेमा के मशहूर कलाकार के दर्जे तक पहुंचने वाले ओम पुरी का सफर संघर्षों से भरा रहा। बचपन में उनके माता पिता को दो वक्त की रोटी के इंतजाम के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ती थी। ओम पुरी के जन्मदिन पर जानते हैं कुछ खास बातें।

बेहद कम लोग जानते हैं कि ओम पुरी एक्टर नहीं बल्कि एक रेलवे ड्राइवर बनना चाहते थे। दरअसल बचपन में ओमपुरी जिस मकान में रहते थे, उससे पीछे एक रेलवे यार्ड था। रात के समय ओमपुरी अक्सर घर से भागकर रेलवे यार्ड में जाकर किसी ट्रेन में सोने चले जाते थे। आलम यह था कि उनकी इस आदत से उन्हें ट्रेनों से काफी लगाव हो गया। बाद में वो सोचा करते थे कि बड़े होने पर वह रेल के ड्राइवर बनेंगे। लेकिन कुछ ही समय बाद वे पंजाब से पटियाला चले आए जहां उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की।

पढ़ाई के दौरान ही उनकी दिलचस्पी एक्टिंग की तरफ हो गई। इसलिए वे नाटक में हिस्सा लेने लगे। वे बतौर मुंशी एक वकील के यहां भी काम करते थे, लेकिन एक दिन एक नाटक में भाग लेने के कारण वे नौकरी पर नहीं जा सके तो वकील ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया, कॉलेज के प्रिंसिपल को जब यह बात पता चली तो उन्होंने उन्हें रसायन विज्ञान लैब में सहायक के तौर पर नौकरी दे दी। इस दौरान ओम पुरी कॉलेज में नाटकों में हिस्सा लेते रहे। यहां उनकी मुलाक़ात हरपाल और नीना तिवाना से हुई, जिनकी मदद से वह पंजाब कला मंच नमक नाट्य संस्था से जुड़ गए।

1970 के दशक में वे पंजाब के कला मंच नाट्य संस्था से जुड़ गए। करीब तीन साल तक पंजाब कला मंच से जुड़े रहने के बाद उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला ले लिया। इसके बाद वे पुणे फिल्म संस्थान चले गए। 1976 में पुणे में ट्रेनिंग के बाद डेढ़ साल तक एक स्टूडियो में एक्टिंग भी सिखाई। बाद में ओमपुरी ने एक थिएटर ग्रुप मजमा की स्थापना की। उन्होंने पर्दे पर अभिनय की शुरुआत विजय तेंदुलकर के मराठी नाटक पर बनी फिल्म घासीराम कोतवाल से की।

1980 के दशक में अमरीश पुरी, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी और स्मिता पाटिल के साथ उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया। भवनी भवई, स्पर्श, मंडी, आक्रोश, मिर्च मसाला और धारावी जैसी फिल्मों से यह साफ हो गया कि दागदार और खुरदुरे चेहरे के पीछे एक बेहद संवेदनशील एक्टर भी छुपा हुआ है। नए दौर में उन्होंने चाची 420, गुप्त, प्यार तो होना ही था, हे राम, कुंवारा, हेराफेरी, दुल्हन हम ले जायेंगे और दबंग व घायल जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

वे माचिस, मकबूल, देव, चुप-चुप में भी दिलचस्प भूमिकाओं में नजर आए। ओम पुरी ने दो शादियां की थी। पहली पत्नी सीमा कपूर से अलग होने के बाद उन्होंने नंदिता कपूर से दूसरी शादी की जो पेशे से पत्रकार थी। एक इंटरव्यू में उनकी मुलाक़ात नंदिता से हुई थी। इस रिश्ते में भी खटास आ गई। 6 जनवरी 2017 को 66 वर्ष की उम्र में दिल का दौरान पड़ने से ओमपुरी का निधन हो गया।

नोट: इस लेख में व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक की न‍िजी अभिव्‍यक्‍त‍ि है। वेबदुन‍िया का इससे कोई संबंध नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दुर्गा सप्तशती के पाठ की विधि क्या है? जा‍निए सही क्रम