लाखों शिक्षकों ने मनाया काला दिवस

सिद्धार्थ झा

देश के हजारों स्कूलों ने शिक्षक दिवस को 'ब्लैक डे' के तौर पर मनाया। राज्य, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त लगभग 60,000 से अधिक निजी स्कूलों ने सरकारी एजेंसियों द्वारा भेदभाव किए जाने, गैरजमानती मामलों में फंसाए जाने और फर्जी मामले बनाने के विरोध में शिक्षक दिवस को काले दिन के तौर पर मनाया। नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल एलायंस (एनआईएसए) के राष्ट्रीय संघ ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है।

 
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए एनआईएसए, निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक संरक्षण अधिनियम की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षकों का सम्मान बचाना आवश्यक हो गया है।
 
कुलभूषण शर्मा का कहना था कि हम डॉ. राधाकृष्णन जयंती और शिक्षक दिवस का जश्न कैसे मना सकते हैं, जब शिक्षकों की अच्छी-खासी संख्या सलाखों के पीछे है। इनमें बड़ी संख्या महिला शिक्षकों की है। डॉ. राधाकृष्णन के सम्मान में सरकार को उन सभी को तुरंत रिहा कर दिया जाना चाहिए।

 
* इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली, यूपी, एमपी, बिहार, असम, नगालैंड, राजस्थान, गुजरात, कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र, केरल, तमिलनाडु के स्कूलों की अधिकतम भागीदारी रही।
 
* स्कूलों के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों ने ब्लैक फ्लैग के साथ काले रिबन पहनकर स्कूलों और बसों में काम किया।
 
* निजी स्कूलों में 80% शिक्षण और गैरशिक्षण कर्मचारी महिला हैं। पुलिस सत्यापन और साइकोमेरिक परीक्षण के नाम पर शिक्षकों और कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जाता है।
 
 
* निजी शिक्षण संस्थानों के कई कर्मचारी सलाखों के पीछे हैं। इनमें शिक्षक और स्कूल प्रबंधन के लोग भी हैं। सुरक्षा के नाम पर निजी स्कूल बंद किए जा रहे हैं। इससे छात्रों की शिक्षा अधर में है।
 
* निसा ने स्कूलों की स्वायत्तता और शिक्षकों की गरिमा को बहाल करने के लिए प्रबंधन और प्राध्यापकों की उचित जांच से पहले गिरफ्तारी नहीं होने की मांग की। उनकी यह भी मांग की थी कि कोई स्कूल बंद नहीं होना चाहिए।

 
* निसा ने कहा है कि अगर मांगें नहीं सुनी जाती हैं, तो आने वाले महीनों में विरोध तेज हो जाएगा। हाल ही में मध्यप्रदेश के डीपीएस स्कूल के प्राचार्य को परिवहन से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया गया था। उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में डिवाइन पब्लिक स्कूल की बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद प्राचार्य की गिरफ्तारी हुई थी। उत्तरप्रदेश के ही एवरेस्ट पब्लिक स्कूल के खिलाफ आईटी एक्ट के सेक्शन 67 और पास्को एक्ट में मामला बनाया गया। दिल्ली के रिबेका गर्ल्स स्कूल में दिल्ली पुलिस ने स्कूल के खिलाफ आईपीसी की धारा 343 और जेजे एक्ट की धारा 75 में मामला दर्ज किया था। बाद में स्कूल को क्लीनचीट मिल गई। उत्तरप्रदेश के टिनी टोनी स्कूल में स्कूल प्रबंधक को गिरफ्तार किया गया। गुडगांव के रेयान स्कूल के अधिकारियों की भी गिरफ्तारी हुई थी।

 
बजट निजी स्कूलों, नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल एलायंस (एनआईएसए) के संगठनों के राष्ट्रीय संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा शायद एक आंखों का धोखा है, क्योंकि साक्षर बेटियां जो शिक्षक के रूप में काम कर रही हैं, वे आज सलाखों के पीछे हैं। शर्मा ने छात्रों, शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की सुरक्षा और सुरक्षा को संभालने में नाकामी के इस दृष्टिकोण के लिए सरकार पर आरोप लगाया।

 
उन्होंने कहा कि महिला शिक्षकों और महिला प्रधानाचार्यों को कानून के दायरे में लाना आसान लक्ष्य है। शिक्षकों को उचित जांच के बिना गिरफ्तार कर लिया गया है और तुरंत गैरजमानती धाराओं में बंद कर दिया गया है। शिक्षकों की सुरक्षा खतरे में है और हम इस दृष्टिकोण के खिलाफ हैं।
 
एनआईएसए ने शिक्षा प्रणाली में योगदान देने वाले शिक्षण और गैरशिक्षण कर्मचारियों को बचाने के लिए शिक्षक संरक्षण अधिनियम रखने के लिए पीआईएल दर्ज करने की योजना बनाई है। एनआईएसए के राष्ट्रीय समन्वयक थॉमस एंटनी ने कहा कि हाल के दिनों में भारतभर में कई घटनाएं हुईं जिसमें शिक्षकों, स्कूल चालकों, प्रिंसीपल और स्कूल प्रबंधन और सहायक कर्मचारियों को दंडित किया गया है, जेल भेजा गया, लंबे समय तक जमानत नहीं दी गई थी और उन्हें परेशान किया गया था, महिला प्रधानाचार्यों और शिक्षक पुलिस का सामना कर रहे हैं। उनके हक की आवाज उठाना आवश्यक है ताकि वे न्याय प्राप्त कर सकें जिसमें कि उन्होंने कोई अपराध ही नहीं किया है। इन कार्रवाइयों ने ऐसी परिस्थिति का निर्माण किया है, जहां कोई शिक्षक और प्रिंसीपल या स्कूल के हक की आवाज उठाने को तैयार नहीं। उन्हें दबाया जा रहा है।

 
एनआईएसए और उसके सभी सदस्य संघों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक प्रतिनिधित्व भेजा है और शिक्षक सुरक्षा अधिनियम लाने और शिक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए ध्यान आकर्षित करने की उम्मीद करते कहा है कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए सुरक्षित नहीं है।
 
नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस (एनआईएसए) के बारे में निसा एक ऐसा मंच है, जो जिलेभर से बजट निजी स्कूलों (बीपीएस) को एकसाथ लाता है ताकि वे नियामक चुनौतियों और सुरक्षा के बारे में अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए एक एकीकृत आवाज उठा सकें व स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार कर सकें।

 
एनआईएसए 30 राज्यों के 60,000 स्कूलों का प्रतिनिधित्व करता है। यह प्रति स्कूल 400 बच्चों के औसत पर 22 करोड़ बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

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