बात यहां से शुरू करते हैं : आम नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की बात सुनने और उनकी समस्याओं के निदान की दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद संवेदनशील हैं। काम हो ना हो, मुख्यमंत्री उनसे मिलने पहुंचे व्यक्ति को संतुष्ट तो कर देते हैं। लेकिन इससे इतर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और सचिव सेल्वेंद्रम का रवैया है। जब इनके यहां जनप्रतिनिधियों को ही तवज्जो नहीं मिल पा रही है तो फिर आम जनता की सुनवाई कैसे हो पाएगी। ये तीनों अफसर तो लोगों से बात करना भी पसंद नहीं करते और इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। यह मुद्दा अब भाजपा के बड़े नेताओं और संघ के दिग्गजों के बीच भी चर्चा का विषय बन चुका है।
उठापटक का सबसे ज्यादा फायदा वीडी शर्मा को : मध्य प्रदेश भाजपा में मेल मुलाकात के माध्यम से जो उठापटक का दौर शुरू हुआ है उसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त यानी वीडी शर्मा को मिलता नजर आ रहा है। सत्ता के शिखर के लिए मध्यप्रदेश में एक अलग तरह की रस्साकशी इन दिनों चल रही है। कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी शुरुआत की और प्रहलाद पटेल, नरोत्तम मिश्रा व प्रभात झा इस कड़ी में जुड़ते गए। लेकिन वीडी ने अपना एक अलग वजूद बरकरार रखा और यह संकेत देने में पीछे नहीं रहे कि जब बात संगठन के माध्यम से आगे बढ़ेगी तभी 'कोई' कवायद किसी मुकाम तक पहुंच पाएगी। वैसे जिस तरह की गहमागहमी उत्तर प्रदेश में है उसके चलते मध्यप्रदेश में अभी किसी उठापटक के आसार कम ही हैं।
चाचा-भतीजे में रार : सालों से चाचा-भतीजे के संबंध रखने वाले कमलनाथ और अजय सिंह के बीच अब बहुत तल्खी है। इस बार कारण बने हैं चौधरी राकेश सिंह। विंध्य में अपना एकछत्र साम्राज्य मानने वाले अजय सिंह के खिलाफ अब वहां कांग्रेसियों की लंबी कतार है, जिसमें उनकी बहन वीणा सिंह भी शामिल हैं। मामा राजेंद्र सिंह और कमलेश्वर पटेल इनकी अगुवाई कर रहे हैं। अब कमलनाथ ने अजय सिंह को फूटी आंख पसंद नहीं आने वाले राकेश सिंह को रीवा का प्रभारी बनाकर उनके लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है। सबसे तालमेल बिठाने में माहिर राकेश यह अभी बिलकुल नहीं भूले होंगे कि कुछ महीने पहले हुए उपचुनाव में कमलनाथ के चाहते हुए भी वह मेहगांव से इसलिए उम्मीदवार नहीं बन पाए थे कि दो बड़े दिग्गज अजय सिंह और डॉ. गोविंद सिंह ने उनकी खुलकर मुखालफत की थी।
विधायक पुत्र से मिलने पहुंचे शिवराज : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशीलता का यह एक जीता जागता उदाहरण है। सामान्यतः मुख्यमंत्री विधायकों के अलावा किसी से भी बिना अपॉइंटमेंट के मुलाकात नहीं करते। पिछले 2 महीने से भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती पवई के विधायक प्रहलाद लोधी के पुत्र मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। संदेश मिलने पर उन्होंने कहा कि अरे, यह अपने बीमार पिता को छोड़कर क्यों आए। पूर्व निर्धारित मुलाकात खत्म होते ही मुख्यमंत्री ने उसे बुलाया, उसकी पूरी बात सुनी और एसीएस हेल्थ मोहम्मद सुलेमान को बुलाकर कहा कि आप खुद चिरायु अस्पताल जाइए, इनके पिता के श्रेष्ठ इलाज का इंतजाम करवाइए और जरूरत पड़ने पर जहां भी बेहतर से बेहतर इलाज हो सकता है वहां भिजवाएं। मुख्यमंत्री का ऐसा रूप देखकर विधायक पुत्र का चौंकना स्वाभाविक था।
मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस का अभिनव प्रयोग : बार और बेंच से बहुत अच्छे संबंधों के लिए क्या मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक एक अभिनव प्रयोग कर रहे हैं। आने वाले समय में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के लिए जज हेतु कुछ अभिभाषकों के नाम आगे बढ़ाए जाना हैं। चीफ जस्टिस जबलपुर की मुख्य पीठ और इंदौर तथा ग्वालियर खंडपीठ से सबसे अच्छे नाम सामने लाने के लिए खुद बेंच और बार से संवाद कर रहे हैं। संभावना यह है कि जल्दी ही हाईकोर्ट की फुल बेंच मीटिंग कर यह नाम आगे बढ़ा दिए जाएंगे। पिछले साल जो 7 नाम हाईकोर्ट ने आगे बढ़ाए थे उनमें से केवल 3 पर ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्वीकृति की मुहर लगाई थी।
भार्गव के टीम वर्क की चर्चा : भविष्य में न्यायिक क्षेत्र के लिए अच्छी संभावना माने जा रहे हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के अपर महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने अपने कार्यकाल का 1 साल पूरा कर लिया है। अपने अलग मिजाज और तेवर के लिए ख्यात दूसरे अपर महाधिवक्ता विवेक दलाल के साथ भार्गव के तालमेल और टीम वर्क की चर्चा पूरे प्रदेश में है। भार्गव ने इस दफ्तर को अपनी टीम के साथ मिलकर एक नई पहचान दी है और कई नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। बेंच और बार के बीच वे जिस भूमिका में हैं उसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोरोना काल में इंदौर के एएजी ऑफिस में जो बंदोबस्त किए गए उसकी मिसाल पूरे प्रदेश में दी जाती है। एक बात और है, इस दफ्तर को पहले सुशोभित कर चुके वरिष्ठ अभिभाषक भी इस जोड़ी से बहुत खुश हैं।
'वर्दी' वाला विज्ञापन : जन्मदिन, नियुक्ति या फिर कुछ अन्य मौकों पर हमने जनप्रतिनिधियों के बड़े-बड़े विज्ञापन अखबारों और न्यूज़ चैनल में देखे हैं, लेकिन किसी अधिकारी का किसी जिले में एसपी के रूप में 2 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर अखबार में वर्दी वाले फोटो के साथ पूरे पेज का विज्ञापन छपे और नीचे उनके मातहतों के भी फोटो नाम व पद के साथ दिखे तो चौंकना स्वाभाविक है। लेकिन ऐसा हुआ है धार के एसपी आदित्य प्रताप सिंह के कार्यकाल के 2 वर्ष पूर्ण होने पर। विज्ञापन में उनके कार्यकाल की उपलब्धियों को भी सामने लाया गया। इस विज्ञापन की बड़ी चर्चा है। ऐसा ना हो कि उपलब्धियों का यह विज्ञापन कप्तान साहब को भारी पड़ जाए।
25 अधिकारी रापुसे से भापुसे : लगता है मध्यप्रदेश के राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति का फैसला मध्यप्रदेश काडर के ही वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और वर्तमान में केंद्रीय कार्मिक सचिव दीपक खांडेकर के हाथों ही होगा। लंबे इंतजार के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से एक बैठक कर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए काडर रिव्यू प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। अब इस पर कार्मिक मंत्रालय की मोहर लगना बाकी है। कुल 24 पद बढ़ाने पर सहमति मिली है, इनमें से 14 पद रापुसे से भापुसे से पदोन्नति के रहेंगे। अगर सब कुछ समय से हुआ तो इस वर्ष लगभग 25 राज्य सेवा के अधिकारी आईपीएस बनेंगे, जिनमें 95, 96 और 97 बैच के अधिकारी शामिल होंगे।
चलते चलते : पूर्व मंत्री डॉक्टर विजय लक्ष्मी साधौ और खरगोन के विधायक रवि जोशी को इंदौर शहर और ग्रामीण का प्रभारी बनाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यह संकेत तो दे ही दिया है कि इंदौर में तो जैसा वे चाहेंगे वैसा ही होगा। कभी सुरेश पचौरी की खास सिपहसालार रहीं साधौ और कांतिलाल भूरिया के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए संगठन प्रभारी रहे जोशी इन दिनों कमलनाथ के खासम खास हैं और कई निर्णयों में भागीदार रहते हैं।