इंदौर। किसी को खो देने का दु:ख सबसे बडा बोझ होता है, ऐसे में हमारी संस्कृति में यह परंपरा है कि एकत्र होकर उस दु:ख को बांटा जाए, लेकिन इंदौर में एक ऐसा परिवार भी है, जिसने दुनिया पर आए करोना के संकट की इस घड़ी में यह दु:ख अकेले ही सहकर मिसाल कायम की है।
इस परिवार के लिए मौका बेहद दुखद और भावुक करने वाला था, इंदौर शहर के प्रतिष्ठित भंडारी परिवार के वरिष्ठ रणधीर सिंह भंडारी का पिछले 24 मार्च को निधन हो गया था।
ठीक इसी दिन रात 12 बजे से कोरोना वायरस के संकट के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी। ऐसे में भंडारी परिवार नहीं चाहता था कि लॉकडाउन के नियमों को तोड़ा जाए और अंतिम संस्कार से लेकर बाद की तमाम गतिविधियों में लोगों को बुलाकर उनके जीवन को जोखिम में डाला जाए।
स्वर्गीय रणधीर सिंह के बेटे नवीन भंडारी ने बताया कि हम नहीं चाहते थे कि संक्रमण के इस दौर में किसी की जान को खतरे में डाला जाए, उन्होंने बताया कि जो होना था, वो हो गया, लेकिन फिलहाल कोरोना के संकट में अहतियात ज्यादा बड़ा काम है। श्री भंडारी ने बताया कि ऐसे में हमने अखबार में उठावना समाचार में लोगों से अपने घर से ही दिवंगत की आत्मशांति के लिए प्रार्थना का निवेदन किया।
इसी तरह व्हाट्सएप के माध्यम से भी यही संदेश दिया। भंडारी परिवार ने सामाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार में भी कुछ ही लोगों को शामिल होने की गुजारिश की।
नवीन भंडारी ने बताया कि यह हमारे लिए बेहद संवेदनशील होने का वक्त था, लेकिन दुनिया पर आए संकट को ध्यान में रखते हुए उनकी एक बहन मुंबई से इसीलिए पिता के अंतिम दर्शन में शामिल होने के लिए इंदौर नहीं आईं।
शोकाकुल परिवार का मकसद सिर्फ इतना था कि ऐसे समय में जब पूरा शहर और देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है, हम अपने इमोशन के लिए किसी दूसरे की लाइफ को रिस्क में नहीं डाल सकते। भंडारी परिवार की यह पहल और समाज को संदेश सदैव स्मृति में रहेगा।