सोशल मीडिया में वीडियो पोस्ट का होगा बोलबाला

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग
 
आगामी 5 साल में सोशल मीडिया पर टेक्स्ट पोस्ट का दौर लगभग खत्म हो जाएगा और उसकी जगह वीडियो पोस्ट ले लेंगे। यह भविष्यवाणी की है फेसबुक की निकोला मेंडेलसान ने। 
निकोला का कहना है कि सोशल मीडिया के तमाम नेटवर्क आगामी 5 साल में मोबाइल केंद्रित हो जाएंगे। फेसबुक पर पोस्ट किए जाने वाले वीडियो के जवाब में लोग अपनी टिप्पणियां भी वीडियो में ही पोस्ट करने लगेंगे। फेसबुक लाइव स्ट्रीमिंग को बढ़ावा दे रहा है और यह उसी दिशा में एक कदम है। निकोला फेसबुक कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट हैं और यूरोप, मध्य-पूर्व और अफ्रीका के ऑपरेशंस संभालती हैं। 
 
निकोला का कहना है कि लोग अपना स्टेटस वीडियो फॉर्मेट में ही पोस्ट करना पसंद करेंगे। वीडियो के माध्यम से यूजर अपनी भावनाएं ज्यादा खुलकर और सटीक तरीके से पेश कर सकेगा। वैसे भी आजकल फोटो के माध्यम से अपनी पोस्ट पब्लिश करने का रिवाज ज्यादा ही बढ़ गया है। वीडियो के माध्यम से जब लोग अपना स्टेटस अपडेट करेंगे, तब वे 360 डिग्री के वीडियो अपलोड कर पाएंगे और ऐसे लगेगा कि आप सोशल मीडिया पर अपने मित्र के एकदम नजदीक हैं। 
 
निकोला का यह भी कहना है कि पिछले 1 साल से फेसबुक पर टेक्स्ट मैसेज कम होते जा रहे हैं। उनकी जगह वीडियो की संख्या बढ़ गई है। यही यूरोप का ट्रेंड है। हो सकता है कि विकासशील देशों में इस ट्रेंड को आने में कुछ समय ज्यादा लगे। स्नेपचैट नामक विजुअल मैसेजिंग सेवा बहुत तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। यह इसका प्रमाण है। स्नेपचैट पर 10 अरब वीडियो डाउनलोड किए जा चुके हैं।
 
निकोला ने कहा कि सोशल मीडिया का भविष्य वीडियो है और सिर्फ वीडियो, वीडियो, वीडियो। इसका सबूत यह है कि जब भी कोई वीडियो स्टेटस अपडेट करता है, तब उसे सामान्य पोस्ट से कम से कम 5 गुना ज्यादा कमेंट्स मिलते हैं। 
 
निकोला ने कहा कि ऐसे में लेखकों की भूमिका खत्म नहीं होगी, बल्कि बदल जाएगी। लेखक वीडियो की स्क्रिप्ट लिखने पर ध्यान देने लगेंगे। सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट आते ही वीडियो प्ले मोड में नजर आएंगे।
 
इसका मतलब यह है कि आप प्ले स्विच दबाएं या न दबाएं, वीडियो अपने आप चालू हो जाएगा। बड़ी-बड़ी कंपनियां और ब्रांड अपने संदेशों को वीडियो माध्यम में ही प्रचारित करना पसंद करेंगी। कंपनियों की पब्लिसिटी पोस्ट के वीडियो में ही सभी जरूरी जानकारियां उपलब्ध होंगी।
 
यूजर्स के पास अपने-अपने डाउनलोड और वीडियो एडिटिंग एप होंगे और वे किसी वीडियो को फॉरवर्ड या शेयर करते वक्त उसे एडिट भी कर पाएंगे। इंटरनेट की स्पीड बढ़ने के साथ ही लगभग पूरी दुनिया में वीडियो देखना आसान होगा। इसके साथ एक और चीज जोड़ी जा रही है कि यूजर ने वीडियो को कितनी बार देखा। यूजर पर वीडियो के प्रभाव को जांचने के तरीके भी खोजे जा रहे हैं।
 
निकोला के दावे के विरुद्ध ऑक्सफोर्ड रायटर्स इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार ऐसा होने में और अधिक समय लग सकता है। अध्ययन के अनुसार 26 देशों के करीब एक चौथाई यूजर ही समाचारों के रूप में वीडियो देखना पसंद करते हैं। लोगों की आदत है कि वे समाचारों को टेक्स्ट के रूप में ही पढ़ना पसंद करते हैं। अध्ययन में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जापान, कनाडा, साउथ कोरिया और यूरोप के कुछ देशों के करीब 50,000 लोगों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है।
 
अध्ययन करने वालों का दावा है कि टीवी समाचारों से भी ज्यादा लोग इंटरनेट पर खबरें देखना पसंद करते हैं। इनमें भी आधे से अधिक लोग अपने स्मार्टफोन पर न्यूज पढ़ने को प्राथमिकता देते हैं। यह इस बात को साबित करता है कि दुनिया में जैसे-जैसे स्मार्टफोन की संख्या में वृद्धि होती जाएगी, वैसे-वैसे समाचारों की प्रस्तुति और उन्हें पसंद करने का तरीका भी बदलता जाएगा। 
 
गत वर्ष अमेरिका में 9 प्रतिशत यूजर ऐसे थे जिन्होंने ऑनलाइन अखबार पढ़ने के लिए सप्ताह में कम से कम एक बार उसका भुगतान किया। इन 9 प्रतिशत लोगों ने औसतन 87.48 डॉलर का खर्च किया। 
 
अध्ययन के अनुसार सोशल मीडिया पर समाचारों के लिए यूजर की निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। फेसबुक पर ही 44 प्रतिशत यूजर खबरों के लिए आने लगे हैं। यू-ट्यूब पर 19 प्रतिशत, वाट्सएप पर 8 प्रतिशत, ट्विटर पर 10 प्रतिशत तथा लिंक्ड-इन और इंस्टाग्राम पर 3-3 प्रतिशत यूजर समाचारों के लिए आते हैं।
 
गूगल प्लस का उपयोग भी लोग समाचारों के लिए करना पसंद करते हैं और 5 प्रतिशत यूजर की पसंद है गूगल प्लस। इससे यह बात साबित होती है कि सोशल मीडिया पर लोग केवल अपने स्टेटस अपडेट करने के लिए ही नहीं आते। वे आते हैं, दूसरों के स्टेटस जानने के साथ-साथ समाचारों को जानने के लिए भी। 
 
ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि उसे इस नए रूप में भी पसंद करेगी। इससे सोशल मीडिया कुछ ज्यादा ही सोशल हो जाएगा। 
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