सुषमा स्वराज : सेहत भी घबरा रही है जिनके साहसी तेवर से

स्मृति आदित्य
माथे पर गोल बड़ी सी बिंदिया, मांग में दमकता सिंदूर, नाक में हीरे का लौंग, सलीके से पहनी साड़ी पर खादी का जैैकेट, मधुर मोहक मुस्कान, आवाज में बुलंदी, व्यक्तित्व में गरिमा, तेजस्विता और प्रखरता का त्रिवेणी मिलन.... यह आकर्षक पहचान है हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की, जिनके स्वास्थ्य लाभ के लिए हजारों दिल दुआएं मांग रहे हैं।

उनकी जीवटता का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि स्वयं उन्होंने अपनी किडनी के फेल हो जाने की सूचना टिवटर पर दी। इस सूचना के साथ ही उन्हें किडनी देने वाले उनके प्रशंसकों की पहल सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी जिनमें बलूचिस्तान के नेता भी शामिल हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे घरों में रहने वाली बुजुर्ग महिलाएं भी चिंतातुर हो उठी हैं। 

उनके व्यक्त्वि का करिश्मा ऐसा है कि अटल जी के कार्यकाल में ही उनके प्रशंसों की एक लंबी अंतहीन सूची बनने लगी थी। संसद में उनका वह ओजस्वी भाषण आज भी लोगों के जहन में ताजा है जिसने विपक्ष के नेताओं को भी प्रशंसा के लिए बाध्य कर दिया था। 
 
एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने अपनी छबि को आक्रामकता के साथ भी शिष्टता से तराशा है। बेहतरीन वक्ता तो वे हैं ही लेकिन उनकी दयालुता भी लोगों के लिए आकर्षण का सबब है। चाहे पाकिस्तान से गीता को लाने की मुहिम हो चाहे उनका वह वाक्य कि बेटियां तो सबकी सांझी होती है। चाहे टिवटर पर मिली सूचना से किसी प्रेमी जोड़े को मिलाने की पहल हो या फिर पाकिस्तान के खिलाफ 10 सिर काट लाने का विवादास्पद बयान.... वे हर बार एक नए रूप में चौंकाती हैं, फिर अपनी मुस्कुराहट से दिल जीत लेती हैं।

दुनिया भर में मुसीबत में फंसे भारतीयों की मदद करने के लिए अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने उन्हें देश की सुपर मॉम कहा तो हम सब का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।   

कभी उन्हें हमने गरजते देखा है तो कभी लोक कलाकारों के साथ थिरकते हुए...... अपनी हर अदा से सुषमा जी हमें मोहती है और तब तो वे और अपनी लगने लगती है जब महाश्वेता जी के जाने की खबर से विचलित होकर गलती से वे आशापूर्णा जी के उपन्यास का जिक्र कर देती है और गलती का अहसास होते ही पूरे दिल से क्षमा मांग लेती हैं।    
 
वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में प्रतिपक्ष की नेता चुनी गई थीं और इस रूप में उनके तीखे तेवर ने सत्ता पक्ष को सजग और सतर्क रहने को बाध्य किया। 
 
14 फरवरी 1952 को अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एसडी कालेज अम्बाला छावनी से बीए तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गईं। वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं।

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कैबिनेट में उन्हेंं शामिल करके उनके अनुभव और योग्यता को स्वीकारा है। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के खाते में दर्ज है।
 
 
आपातकाल के बाद उन्होंने दो बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मंत्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बनाया। 1970 में उन्हें एसडी कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार एसडी कालेज छावनी की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं। पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा 1973 में उन्हें सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला।

सुषमा स्वराज के नाम पर कई रिकार्ड दर्ज़ हैं। वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला हैं। वे कैबिनेट मंत्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला हैं। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंंत्री रहीं। भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं।
 
13 जुलाई 1975 को स्वराज कौशल के साथ वे परिणय सूत्र में बंधी। उनके पति  स्वराज कौशल 6 साल तक राज्यसभा में सांसद रहे।  मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। स्वराज कौशल अभी तक सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं। सुषमा स्वराज और उनके पति की उपलब्धियों को लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड ने उन्हें विशेष दम्पत्ति का स्थान दिया है। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री बांसुरी है जो वकालत कर रही हैं। पिछले दिनों ललित मोदी कांड में बांसुरी का नाम चर्चा में आया था। 
 
फिलहाल वे स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं और पूरा देश उनके लिए आकुल है। नोटबंदी की वजह से उथल-पुथल के बावजूद उनके प्रशंसक लगातार उनसे जुड़ी खबरों पर नजर रखे हुए हैं। सुषमा स्वराज उस चमकदार शख्सियत का नाम है जिसकी जरूरत इस देश को अभी लंबे समय तक है। हम अपनी समस्त शुभकामनाओं के साथ यह प्रार्थना करते हैं कि वे शीघ्र स्वस्थ हों और अपनी जादूू भरी मुस्कान से फिर अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में लौट आए...,‍ उम्मीद करें कि सेहत भी घबरा रही होगी उनके साहसी तेवर से...  

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