नागपंचमी की पूजा का संबंध धन से जुड़ा हुआ है। दरअसल शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है।
इस दिन व्रती को धन सम्बंधित मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करने की सलाह दी जाती है।
हल्दी, धूप, दीप, अगरबत्ती से नाग का पूजन करें एवं देवताओं के समान ही मिष्ठान्न भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करने की सलाह दी जाती है।
कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते हैं एवं नाग का दहनादि क्रिया करते हैं। इस तरह की बातों में नहीं आएं। यह आवश्यक नहीं है की कालसर्प का पूजन नाग पंचमी को ही किया जाए।
जन्म कुंडली में एक दोष होता है जिसे सर्पदोष कहते हैं। इससे सांप का कोई लेना.देना नहीं है।
उसको किसी प्रकार से प्रताड़ित नहीं करें एवं जीवित सांप का पूजन किसी भी हालत में नहीं करें। न ही उसकी दहन क्रिया करें। यह पाप को बढ़ाने वाली होगी। कालसर्प एक राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प समान होने से इसको सर्प दोष कहते हैं।
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा में पांच तरह की चीजों का उपयोग किया जाता हैं। धान,धान का लावा(जिन्हें खील भी कहा जाता है) दूर्वा, गाय का गोबर और दूध ये पांच चीजें हैं जिनसे नागदेवता की पूजा करते हैं।
धन की सुरक्षा हो या धन का आगमन बिना नागदेव की कृपा के संभव नहीं है। हमने कई किस्से कहानियां और उदाहरण देखें हैं जिनमें धन की सुरक्षा और खजाने की रखवाली में नागदेव तैनात हैं...यानी उनकी मर्जी के बिना हमारे जीवन में भी गुप्त धन और अचानक धन मिलने के योग नहीं बन सकते हैं... नाग पंचमी के शुभ अवसर पर नाग देवता से धन के लिए आशीष अवश्य मांगें।