Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उज्जैन में एक और नागचंद्रेश्वर(नागचंडेश्वर) महाराज हैं, पूरे वर्ष दे‍ते हैं दर्शन

हमें फॉलो करें उज्जैन में एक और नागचंद्रेश्वर(नागचंडेश्वर) महाराज हैं, पूरे वर्ष दे‍ते हैं दर्शन
इस बार कोरोना के कारण उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर देवता के दर्शन कीव्यवस्था में परिवर्तन किया गया है.. जो साल में सिर्फ एक दिन दर्शन देते हैं...लेकिन हम आपको बता रहे हैं उज्जैन में ही स्थित ऐसे नागचंद्रेश्वर देवता जो साल भर अपने दर्शन देते हैं। विविध मतांतर से उन्हें नागचंद्रेश्वर के साथ नागचंडेश्वर महादेव भी कहा जाता है। 
 
चौरासी महादेव यात्रा के 19वें क्रम पर आने वाले नागचंद्रेश्वर महाराज( नागचंडेश्वर महादेव) के पूजन का विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष उज्जैन के पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शनों के पश्चात ही श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा पर प्रस्थान करते हैं। 
 
बाबा महाकाल की नगरी में कंकर-कंकर में शंकर बसे हैं। भगवान को अर्पित फूल व बिल्वपत्र को लांघने से मनुष्य को दोष लगता है। इस दोष के निवारण के लिए नागचंद्रेश्वर भगवान( नागचंडेश्वर महादेव) का दर्शन आवश्यक है। इस नगरी में देवता भी इस दोष से बचने के लिए भगवान नागचंद्रेश्वर (नागचंडेश्वर महादेव) का दर्शन करते हैं। ऐसा धर्मग्रंथों में उल्लेख है। 
 
भगवान नागचंद्रेश्वर ( नागचंडेश्वर महादेव) को नारियल अर्पित करने की परंपरा है। पंचक्रोशी यात्री भी नारियल की भेंट चढ़ाकर भगवान से बल प्राप्त करते हैं और यात्रा पूरी होने पर मिट्टी के अश्व अर्पित कर उनका बल लौटाते हैं। किसी भी तीर्थ यात्रा के पूर्व अगर भगवान नागचंद्रेश्वर ( नागचंडेश्वर महादेव) से बल लेकर यात्रा की जाए तो वह पूर्णतः सफल होती है।
 
प्रचलित कथा के अनुसार नागचंद्रेश्वर महादेव ( नागचंडेश्वर महादेव) के दर्शन से निर्माल्य लंघन से उत्पन्न पाप का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि देवर्षि नारद एक बार इंद्र की सभा में कथा सुना रहे थे। इंद्र ने मुनि से पूछा कि हे देव, आप त्रिलोक के ज्ञाता हैं। मुझे पृथ्वी पर ऐसा स्थान बताओ, जो मुक्ति देने वाला हो।
 
यह सुनकर मुनि ने कहा कि उत्तम प्रयागराज तीर्थ से दस गुना ज्यादा महिमा वाले महाकाल वन में जाओ। वहां महादेव के दर्शन मात्र से ही सुख, स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वर्णन सुनकर सभी देवता विमान में बैठकर महाकाल वन आए। उन्होंने आकाश से देखा कि चारों ओर साठ करोड़ से भी शत गुणित लिंग शोभा दे रहे हैं। उन्हें विमान उतारने की जगह दिखाई नहीं दे रही थी।
 
इस पर निर्माल्य उल्लंघन दोष जानकर वे महाकाल वन नहीं उतरे, तभी देवताओं ने एक तेजस्वी नागचंद्रगण को विमान में बैठकर स्वर्ग की ओर जाते देखा। पूछने पर उसने महाकाल वन में महादेव के उत्तम पूजन कार्य को बताया। देवताओं के कहने पर कि वन में घूमने पर तुमने निर्माल्य लंघन भी किया होगा, तब उसके दोष का उपाय बताओ।
 
नागचंद्रगण ने ईशानेश्वर के पास ईशान कोण में स्थित लिंग का महात्म्य बताया। इस पर देवता महाकाल वन गए और निर्माल्य लंघन दोष का निवारण उन लिंग के दर्शन कर किया। यह बात चूंकि नागचंद्रगण ने बताई थी, इसीलिए देवताओं ने इस लिंग का नाम नागचंद्रेश्वर महादेव ( नागचंडेश्वर महादेव) रखा।

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Coronavirus Effect : कोरोनावायरस का असर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर पर