raja parikshit aur takshak ki kahani: हिंदू पौराणिक कथाओं में नागों का विशेष स्थान है, और उनमें से एक नाम है 'तक्षक नाग', जिसका जिक्र महाभारत काल से जुड़ा है। तक्षक नाग का नाम सुनते ही राजा परीक्षित की कहानी याद आती है, जिन्हें इसी नाग ने डसा था। लेकिन, क्या तक्षक नाग वास्तव में मौजूद हैं? वे कैसे दिखते हैं, और क्या आज भी भारत में ऐसे सांप पाए जाते हैं? आइए, इस रहस्यमय नाग, उसकी कहानी और उससे जुड़े तथ्यों को विस्तार से समझते हैं।
कौन था तक्षक नाग? उसका स्वरूप और विशेषताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तक्षक नाग नागलोक के आठ प्रमुख नागों में से एक था। उसे ऋषि कश्यप और कद्रु का पुत्र माना जाता है। तक्षक अत्यंत शक्तिशाली, विशाल फन वाला और भयंकर नाग था, जिसके विष का तोड़ किसी देवता के पास भी नहीं था। उसकी जाति स्वभाव से ही अत्यंत क्रूर मानी जाती थी।
राजा परीक्षित की कहानी: एक श्राप और तक्षक का दंश
राजा परीक्षित महाभारत के अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र थे। पांडवों के स्वर्गारोहण के बाद उन्होंने धर्मपूर्वक शासन किया। उनकी मृत्यु तक्षक नाग के दंश से हुई थी, जिसके पीछे एक पौराणिक कथा है:
एक बार राजा परीक्षित शिकार खेलते हुए जंगल में भटक गए। प्यास लगने पर वे शमीक ऋषि के आश्रम पहुंचे। ऋषि उस समय मौन व्रत धारण कर ध्यान में लीन थे। राजा ने उनसे पानी मांगा, लेकिन ऋषि ने कोई उत्तर नहीं दिया। क्रोधित होकर (और कलयुग के प्रभाव में आकर), राजा परीक्षित ने एक मरा हुआ सांप उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया और वहां से चले गए।
जब ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि को यह बात पता चली, तो वे अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नाग उन्हें डस लेगा, जिससे उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्राप की बात सुनकर राजा परीक्षित विचलित हुए, लेकिन उन्होंने अपना अंतिम समय भागवत कथा सुनकर बिताने का निश्चय किया। शुकदेव मुनि ने उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। राजा परीक्षित ने अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय किए, अपने महल को चारों ओर से सुरक्षित कर लिया और विद्वानों को नियुक्त किया।
सातवें दिन, तक्षक नाग एक छोटे कीड़े का रूप धारण कर एक फल के भीतर छिपकर राजा परीक्षित तक पहुंच गया। जब राजा ने उस फल को काटा, तो तक्षक अपने विशाल रूप में प्रकट हुआ और राजा परीक्षित को डस लिया। तक्षक के विष से राजा परीक्षित की तुरंत मृत्यु हो गई, जिससे श्रृंगी ऋषि का श्राप पूरा हुआ।
आधुनिक संदर्भ में, जब 'तक्षक नाग' की बात आती है, तो अक्सर इसे 'ऑर्नेट फ्लाइंग स्नेक' (Ornate Flying Snake) या 'क्राइसोपेलिया ऑर्नेटा' (Chrysopelea ornate) नामक सांप से जोड़ा जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पौराणिक तक्षक नाग और इस वैज्ञानिक प्रजाति के बीच सीधा संबंध स्थापित करना मुश्किल है। यह एक लोकमान्यता या प्रतीकात्मक जुड़ाव अधिक है।
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ऑर्नेट फ्लाइंग स्नेक (तक्षक नाग से जुड़ा आधुनिक संदर्भ):
• स्वरूप: यह सांप आमतौर पर 3 से 4 फीट तक लंबा और पतला होता है। इसके शरीर पर चंदन जैसे धब्बे और काली व सफेद धारियाँ होती हैं, जो इसे काफी आकर्षक बनाती हैं।
• उड़ने की क्षमता (ग्लाइडिंग): यह सांप वास्तव में उड़ता नहीं, बल्कि 'ग्लाइड' करता है, यानी हवा में तैरता है। यह ऊंचे पेड़ों पर रहता है और एक डाली से दूसरी डाली पर या 50 से 100 फीट तक की ऊंचाई से छलांग लगा सकता है। ऐसा करने के लिए यह अपने शरीर को विशेष आकार में ढाल लेता है, जिससे यह हवा में तैरने में कामयाब होता है।
• निवास और आहार: यह सांप ज्यादातर घने जंगलों और पठारी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह जमीन पर बहुत कम आता है। इसका मुख्य भोजन कीड़े-मकोड़े और छिपकलियाँ होती हैं।
• जहर: यह सांप जहरीला होता है, लेकिन पौराणिक तक्षक नाग जितना घातक नहीं। इसके काटने से आमतौर पर इंसानों को अधिक खतरा नहीं होता है, लेकिन इसका विष शिकार को पकड़ने के लिए पर्याप्त होता है।
• दुर्लभ प्रजाति: ऑर्नेट फ्लाइंग स्नेक भारत में एक दुर्लभ प्रजाति में आता है और विलुप्त होने के कगार पर है।
क्या अब भी भारत में मिलते हैं ये सांप?
ऑर्नेट फ्लाइंग स्नेक (जिसे कुछ लोग तक्षक नाग के नाम से जानते हैं) भारत में पाए जाते हैं। हाल ही में, झारखंड के रांची और बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में ऐसे सांपों के मिलने की खबरें आई हैं। ये मुख्य रूप से घने जंगलों और पेड़ों वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
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