भारत देश शुरू से विविध मत-मतान्तरों के आधार पर धार्मिक अनुष्ठान किसी न किसी रूप में करता आया है। परम्परा से चली आ रही प्रथाएं भी इसका एक कारण हो सकती हैं। नाग पूजा की परम्परा भी आज तक चलती आ रही है। भारतीय संस्कृति में नाग का विशेष महत्व है।
ऐसा विश्वास है कि हमारी धरती शेषनाग के फनों के ऊपर टिकी हुई है। जब कभी पाप धरती पर बढ़ता है तो शेषनाग अपने फनों को समेटते हैं और धरती डगमगाने लगती है। यही विश्वास जनमानस में और अधिक श्रद्धानत होकर नाग पूजा को बाध्य करता है। हमारे देश के प्रत्येक भाग में किसी न किसी रूप में भगवान शंकर की पूजा होती है।
उनकी जटाओं, गले एवं भुजाओं पर नाग की माला स्पष्ट देखी जा सकती है। पुराणों में नागों से शादी का वर्णन मिलता है। राजा परीक्षित एवं जन्मेजय का नाग यज्ञ अपने आप में अद्भुत है।
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