गुरु ग्रंथ साहिब की महत्ता

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- सतमीत कौर

 
   
श्री गुरुनानक देव जी से लेकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक गुरुगद्दी शारीरिक रूप में रही क्योंकि इन सभी गुरु जी ने पाँच भौतिक शरीर को धारण करके मानवता का कल्याण किया।

पर 10वें गुरु जी ने शरीर का त्याग करने से पहले सारी सिख कौम को आदेश दिया कि आज से आपके अगले गुरु 'श्री गुरु ग्रंथ साहेब' हैं।

आज से हर सिख सिर्फ गुरु ग्रंथ साहेब जी को ही अपना गुरु मानेगा। उन्हीं के आगे शीश झुकाएगा और जो उनकी बाणी को पढ़ेगा वो मेरे दर्शन की बराबरी होगी।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने आदेश दिया कि सिख किसी भी शरीर के आगे, मूर्ति के आगे या फिर कब्र के आगे माथा नहीं झुकाएँगे। उनका एक ही गुरु होगा और वो है श्री गुरु ग्रंथ साहेब।

श्री गुरु ग्रंथ साहेब जी को सुबह 4-5 बजे के समय अरदास (प्रार्थना) करके गुरुद्वारे के मुख्‍य कमरे में दर्शन के लिए लाया जाता है फिर वहाँ बाणी का पाठ होता है। कीर्तन होता है। इस प्रकार रात के 7-8 बजे तक गुरु ग्रंथ साहेब जी का प्रकाश रहता है। फिर दोबारा अरदास करके उन्हें उनके निजी स्थान पर विराजमान किया जाता है।

हर सिख बच्चे के नाम का पहला अक्षर गुरु ग्रंथ साहेब जी की बाणी के पहले अक्षर से लिया जाता है। हर सिख अपना जो भी काम करता है वो गुरु ग्रंथ साहेब जी के आगे अरदास करके ही किया जाता है।
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