Importance of Guru Nanak Dev Jis Birthday: गुरु पर्व, जिसे गुरु नानक जयंती या प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, सिख धर्म का सबसे पवित्र और प्रमुख त्योहार है। यह सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।ALSO READ: Nanak Jayanti: गुरु नानक की जयंती: समर्पण, भक्ति और सेवा का पर्व
यहां गुरु पर्व 2025 की तिथि, महत्व और इससे जुड़ी प्रमुख विधियां दी गई हैं:
गुरु पर्व 2025: तिथि
गुरु पर्व / गुरु नानक जयंती 2025: 5 नवंबर 2025, बुधवार
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 4 नवंबर 2025, रात 10:36 बजे
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का समापन-5 नवंबर 2025, शाम 06:48 बजे
गुरु पर्व का महत्व: गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी, जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब कहलाता है में हुआ था। यह दिन उनके जीवन, दर्शन और शिक्षाओं को याद करने का दिन है।
गुरु नानक देव जी ने ही संसार को यह संदेश दिया कि ईश्वर एक है (एक ओंकार), वह सर्वव्यापी है और सभी धर्मों का सार एक ही है। उन्होंने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर किसी भी तरह के भेद-भाव का विरोध किया और निःस्वार्थ सेवा तथा समानता के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।ALSO READ: Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव की जयंती: एकता, प्रेम और प्रकाश का अलौकिक सफर
तीन मुख्य सिद्धांत: गुरु जी ने जीवन जीने के लिए तीन मुख्य स्तंभ दिए:
नाम जपना: हमेशा ईश्वर को याद करना।
किरत करना: ईमानदारी से मेहनत करके कमाना।
वंड छकना: जो कमाया है, उसे जरूरतमंदों के साथ बाँटकर खाना।
प्रकाश पर्व: इसे प्रकाश पर्व भी कहते हैं क्योंकि गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं से दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाया था।
पूजा विधि और आयोजन:
गुरु नानक जयंती/ गुरु पर्व का उत्सव केवल एक दिन का नहीं होता, बल्कि इसकी तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है:
1. अखंड पाठ (48 घंटे पूर्व): गुरु पर्व से दो दिन पहले गुरुद्वारों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ शुरू हो जाता है, जो गुरु पर्व के दिन पूरा होता है। यह पाठ लगातार 48 घंटे चलता है।
2. प्रभात फेरी और नगर कीर्तन:
* प्रभात फेरी: गुरु पर्व से कुछ दिन पहले सुबह-सुबह गुरुद्वारों से प्रभात फेरियां या भक्ति यात्राएं निकाली जाती हैं, जिसमें श्रद्धालु भक्ति गीत (शबद-कीर्तन) गाते हुए नगर में घूमते हैं।
* कीर्तन दरबार: गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन दरबार सजाया जाता है, जहां भजन-कीर्तन, गुरुबाणी का पाठ और गुरु जी के उपदेशों पर प्रवचन होते हैं।
* अरदास: सुख, शांति और समृद्धि के लिए विशेष अरदास/ प्रार्थना की जाती है।
* लंगर: इस दिन लंगर यानी सामुदायिक रसोई का आयोजन किया जाता है। सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो समानता और सेवा के सिद्धांत को दर्शाता है।
* दीपदान: गुरु पर्व की शाम को गुरुद्वारों और घरों में दीप जलाए जाते हैं और आतिशबाजी भी की जाती है, जिसे दीपमाला कहा जाता है।
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