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Nanak Jayanti: गुरु नानक की जयंती: समर्पण, भक्ति और सेवा का पर्व

WD Feature Desk
बुधवार, 5 नवंबर 2025 (10:11 IST)
Guru Nanaks Teachings: गुरु नानक देव जी की जयंती सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे 'गुरु नानक गुरुपर्व' के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए एक विशेष महत्व रखता है। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन और उपदेशों के माध्यम से दुनिया को समर्पण, भक्ति और सेवा का सच्चा मार्ग दिखाया। उनके उपदेश आज भी समाज में शांति, भाईचारे और प्रेम का संदेश फैलाते हैं।ALSO READ: Guru Nanak Jayanti Quotes: गुरु नानक देव की जयंती पर पढ़ें दुनिया में अमन, शांति और भाईचारे का संदेश देने वाले 10 शुभकामना कोट्‍स
 
यह पर्व सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा अवसर है, जब लोग उनके समानता, निस्वार्थ सेवा और सत्य के सार्वभौमिक संदेश को याद करते हैं और उसे अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनका संदेश: गुरु नानक देव जी का जीवन अत्यंत प्रेरणादायक और सकारात्मक रहा। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था, और वह सिख धर्म के पहले गुरु थे। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन को एक साधक और समाज सुधारक के रूप में समर्पित किया। उन्होंने अपनी शिक्षा और कार्यों के माध्यम से ईश्वर के प्रति भक्ति, समाज में समानता और नफरत के बजाय प्रेम का संदेश दिया।
 
गुरु नानक देव जी ने जो तीन प्रमुख सिद्धांत दिए, वे 'किरत करो, नाम जपो, वंड छको' (सच्चे कर्म करो, ईश्वर का नाम जपो, और दूसरों के साथ साझा करो) आज भी मानवता के लिए एक आदर्श बन चुके हैं।
 
समर्पण: गुरु नानक देव जी का जीवन समर्पण का एक जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने अपने जीवन को ईश्वर की सेवा और समाज के कल्याण के लिए समर्पित किया। उनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति का जीवन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों की भलाई और समाज में अच्छाई फैलाने के लिए होना चाहिए।ALSO READ: Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में
 
उनके जीवन में समर्पण का अर्थ सिर्फ ईश्वर के प्रति निष्ठा नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी पूरी शक्ति और जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित किया। वह मानते थे कि सेवा करने से आत्मिक संतोष मिलता है और समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
 
भक्ति: भक्ति या ईश्वर के प्रति प्रेम और निष्ठा, गुरु नानक देव जी के जीवन का केंद्रीय सिद्धांत था। उन्होंने सिखाया कि ईश्वर केवल एक है और उसकी उपासना केवल किसी एक पंथ या जाति के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए समान रूप से है।
 
गुरु नानक देव जी का यह संदेश कि ईश्वर का नाम जपो (नाम स्मरण करें), यह आज भी लाखों लोगों के जीवन में शांति और आंतरिक शक्ति का स्रोत बना हुआ है। उनका मानना था कि केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि सच्चे कर्म और ईश्वर के नाम का जाप ही भक्ति का वास्तविक रूप है।
 
सेवा: गुरु नानक देव जी का जीवन सेवा के आदर्शों से भरपूर था। वह हमेशा अपने समय और संसाधनों को दूसरों की मदद के लिए समर्पित करते थे। उनका यह सिद्धांत 'वंड छको'/दूसरों के साथ साझा करो, यह सिखाता है कि हमें अपनी संपत्ति और संसाधन केवल अपने तक सीमित नहीं रखनी चाहिए, बल्कि दूसरों की मदद भी करनी चाहिए।
 
गुरु नानक देव जी का यह संदेश कि हमें सेवा बिना किसी स्वार्थ के करनी चाहिए, समाज में सहयोग और एकता की भावना को बढ़ाता है। उन्होंने यह भी सिखाया कि किसी भी व्यक्ति की मदद करने में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या पंथ से हो।ALSO READ: Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में

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