नानकदेव क्या थे और नानक का दर्शन क्या था? ये सब निरर्थक बातें हैं।
नानक के व्यक्तित्व में सभी गुण थे।
नानकदेवजी ने रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में सदैव अपनी आवाज बुलंद की।
संत साहित्य में नानक अकेले चमकते सितारे हैं।
कवि हृदय नानक की भाषा में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली, अरबी, संस्कृत और ब्रजभाषा के शब्द समा गए थे।