गुरुनानक जयंती पर नगर कीर्तन

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देशभर में सिखों के पहले गुरु नानकदेव जी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवा भाव से प्रकाशित करना।

सिखों के प्रथम गुरू गुरुनानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस दौरान पांच प्यारें नगर कीर्तन की अगुवाई करते हैं। श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों से होता हुआ गुरुद्वारा पहुंचता है। प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसमें भारी संख्या में संगत भाग लेते हैं। प्रभात फेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते है।

इस अवसर पर गुरुद्वारा के सेवादार संगत को गुरुनानक देव जी के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते है कि श्री गुरुनानक देव महाराज महान युग पुरुष थे। गुरुनानक देव ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया। ऐसे में महान युग पुरुष की आज के समय में बहुत जरूरत है। 

भगवान एक है। एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है। भगवान को याद करने, मेहनत से कमाई करने और उसके बाद बांट के खाने का संदेश दुनिया भर में देने वाले ऐसे ही गुरु को सिख समुदाय उनकी जयंती पर याद करता है।

एक ओर जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, वहीं गुरु का प्रसाद लंगर भी बांटा जाता है। साथ ही गुरुनानक देव जी पर आधारित पोस्टर जारी किए जाते हैं। अपनी परंपरानुसार प्रभात फेरी में शामिल स्त्री-पुरुष सफेद वस्त्र एवं केसरिया चुन्नी धारण कर गुरुवाणी का गायन करते हुए चलते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर हार-फूल से स्वागत किया जाता है। शाम को दीवान सजा कर शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया जाता है।

प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है।
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